यह ख़बर 07 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

फर्जी मुठभेड़ों की सूची में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर

खास बातें

  • फर्जी मुठभेड़ों के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष स्थान पर है और पिछले तीन साल में राज्य में कथित तौर पर पुलिस के हाथों करीब 120 व्यक्ति मारे गए हैं।
New Delhi:

फर्जी मुठभेड़ों के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष स्थान पर है और पिछले तीन साल में राज्य में कथित तौर पर पुलिस के हाथों करीब 120 व्यक्ति मारे गए हैं। इस साल के शुरुआती छह माह में राज्य में कथित फर्जी मुठभेड़ों में छह व्यक्ति मारे गए और उनके परिजनों ने न्याय के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क किया है। राज्य में वर्ष 2010-11 के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को उत्तर प्रदेश में कथित फर्जी मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों के हाथों 40 व्यक्तियों के मारे जाने की शिकायत मिली। वर्ष 2008-09 और 2009-10 के दौरान कथित फर्जी मुठभेड़ में राज्य में 71 व्यक्ति मारे गए। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि देश भर में वर्ष 2008-09 की शुरुआत से जून तक फर्जी मुठभेड़ों के 369 मामले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दर्ज किए। 90 मामलों में पुलिस की कार्रवाई संदेहपूर्ण पाई गई और आयोग ने मृतकों के परिजनों को 4.54 करोड़ रुपये की आर्थिक राहत देने की सिफारिश की। कुल 369 मामलों में से 98 मामले आयोग हल कर चुका है, जबकि 271 मामलों का निपटारा बाकी है। उत्तर प्रदेश के बाद पिछले तीन साल के दौरान फर्जी मुठभेड़ों के मामले में मणिपुर का दूसरा स्थान रहा है। यहां 2008-09 में फर्जी मुठभेड़ के 16, वर्ष 2009-10 में 32, वर्ष 2010-11 में 12 और 2011 के शुरुआती छह माह में एक मामला दर्ज किया गया। उग्रवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन साल के दौरान कथित फर्जी मुठभेड़ के 14 मामले दर्ज किए गए। इनमें सर्वाधिक 11 मामले वर्ष 2010-11 में दर्ज किए गए। इस साल अब तक राज्य में ऐसे किसी मामले की खबर नहीं है। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में पिछले तीन साल में फर्जी मुठभेड़ के 11 मामलों की खबर है, जबकि माओवाद प्रभावित अन्य राज्यों झारखंड और उड़ीसा में ऐसे क्रमश: 13 और 12 मामले दर्ज किए गए। अपेक्षाकृत शांत समझे जाने वाले तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में पिछले तीन साल में कथित फर्जी मुठभेड़ों के 15-15 मामले दर्ज किए गए। पश्चिम बंगाल में कथित फर्जी मुठभेड़ के कुल 23 मामले बीते तीन बरस में दर्ज किए गए, जबकि इसी अवधि में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऐसे छह मामले दर्ज किए गए।


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