नोटबंदी : नकली नोट के तस्‍करों और हवाला कारोबारियों पर सबसे ज्‍यादा असर

नोटबंदी : नकली नोट के तस्‍करों और हवाला कारोबारियों पर सबसे ज्‍यादा असर

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

नई दिल्‍ली:

नोटबंदी का असर सबसे ज़्यादा फ़र्ज़ी नोट की तस्करी करने वालों और हवाला कारोबारियों पर पड़ता दिख रहा है. राजस्व खुफिया निदेशालय का अनुमान है कि हर साल पाकिस्तान भारत में 500 करोड़ के जाली नोट भेजता रहा है जिन पर इस बार रोक लग जाएगी.

वैसे 500 और 1000 के नोटों का ढेर बरेली में जलता दिखा तो सब हैरान रह गए. फिलहाल पुलिस मान रही है कि ये जाली नोट हैं. इस मामले में तफ़तीश शुरू कर दी गई है. बरेली पुलिस के सब इंस्‍पेक्‍टर राजेंद्र कुमार का कहना है, 'जांच के बाद ही ये साबित हो पाएगा कि ये असली हैं या नक़ली.'

इस तरह की तस्वीरें अब कई जगह देखने को मिल सकती हैं क्‍योंकि ख़ुफ़िया एजेंसियों के मुताबिक भारत में फ़र्ज़ी नोट बहुत भारी मात्रा में चलन में हैं. इनमें बहुत बड़ा हिस्सा सीमा पार से आतंकियों की मदद के लिए भेजा जाता है. राजस्व खुफिया निदेशालय के मुताबिक पाकिस्तान हर साल औसतन 300-500 करोड़ रुपये भारत में भिजवाता है. ये पैसा खेपियों के ज़रिए नेपाल, थाइलैंड और बांग्लादेश के रास्ते भारत आता है. एक खेपिया पांच से दस लाख तक ले आता है. इसके अलावा सीमा के आरपार कारोबार के ज़रिए भी नक़ली नोट की खेपें भारत आ रही हैं.

मंगलवार शाम से नोटबंदी की प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद इस सारी आवाजाही पर अचानक रोक लग गई है. बड़े नोटों के ज़रिए होने वाला ये कारोबार ठप है. वो भी तब जब भारत को जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान जाली नोटों की छपाई की कहीं ज़्यादा तैयारी कर रहा है. RAW के मुताबिक़ इस साल पाकिस्तान ने नोट के लिए स्याही और काग़ज़ ज़रूरत से ज़्यादा ख़रीदे. ये ख़रीदारी जर्मनी और स्विटजरलैंड से की गई है और भारतीय नोटों की छपायी वो अपने पंजाब और बलूचिस्तान में कर रहा है.

जम्मू कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह का कहना है, 'पाकिस्तान अपने नोट कम छापता है भारतीय नोट ज़्यादा छापता है.' माना जा रहा है कि नोटबंदी के बाद सबसे ज़्यादा असर हवाला कारोबार पर भी पड़ा है.

बहराल चाहे 26/11 मामले का आरोपी डेविड कोलमेन हेडली हो या डाईश का मुद्दबिर शेख़ या फिर कश्मीर घाटी में हो रही हिंसा, भारतीय एजेंसियों के पास काफ़ी सबूत हैं कि फ़र्ज़ी नोटों के ज़रिए पाकिस्तान भारत में आतंक और हिंसा फैला रहा है लेकिन प्रधानमंत्री की नोटबंदी के ऐलान के बाद माना जा रहा है कि आतंक और हिंसा के दौर में रुकावट ज़रूर आएगी और आतंकी और भारत विरोधी संगठनों को मिलने वाली आर्थिक मदद की कमर भी टूटेगी.


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