आंदोलनरत किसानों की दोटूक, 'हमें किसी पार्टी की मदद नहीं चाहिए, कानून रद्द होने तक हटेंगे नहीं'

इन क‍िसानों ने कहा, हमें किसी सियासी पार्टी की मदद नहीं चाहिए. हम किसी पार्टी के टेंट में नही जाएंगे. हम खुद खाना बनाते हैं और ट्रेक्‍टर पर सोते हैं. हमें कोई बरगला नही सकता

आंदोलनरत किसानों की दोटूक, 'हमें किसी पार्टी की मदद नहीं चाहिए, कानून रद्द होने तक हटेंगे नहीं'

किसानों ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली में डेरा डाल रखा है

खास बातें

  • कहा, सरकार के साथ बातचीत से हमें बहुत ज्‍यादा उम्‍मीद नहीं
  • सरकार की ओर से जिस तरह कानून की वकालत की जा रही, उनसे क्‍या आशा रखें
  • हम किसी भी सूरत में कृषि कानून लागू नहीं होने देंगे
नई दिल्ली:

Farmers Protest: केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि कानूनों (Farm Law)को लेकर देश के किसानों (Farmers) ने आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए दिल्‍ली में मोर्चा डाल रखा है. अपनी मांगों को लेकर ये किसान सड़कों पर डटे हुए हैं. उन्‍होंने दोटूक लहजे में कहा है कि जब तक इन कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, वे दिल्‍ली से हटने को तैयार नहीं हैं. किसानों का यह आंदोलन मंगलवार को छठे दिन में प्रवेश कर गया. हजारों की संख्‍या में किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले पांच दिनों से धरने पर हैं. दिल्‍ली स्थित बुराड़ी का निरंकारी मैदान इन किसानों के आंदोलन का केंद्र‍बिंदु बना हुआ है. एनडीटीवी से बातचीत में इन किसानों ने कहा कि सरकार के साथ बातचीत से उन्‍हें बहुत उम्‍मीद नहीं है. किसानों का आरोप है कि सरकार की नीयत ठीक नही है. उन्‍होंने कहा, मोदी और सरकार के मंत्री इस कानून पक्ष में बात कर रहे हैं जबकि यह कानून किसानों के लिए नही, पूंजीपतियों के लिए है. जिस तरह से कानून की वकालत कर रहे है, उनसे क्या उम्मीद करे. 

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आंदोलनरत किसानों का साफ कहना है कि जब तक कानून रद्द नही होगा तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा. उन्‍होंने कहा कि हम पूरी तैयारी के साथ आये हैं, हमें किसी सियासी पार्टी की मदद नहीं चाहिए. हम किसी पार्टी के टेंट में नही जाएंगे. हम खुद खाना बनाते हैं और ट्रेक्‍टर पर सोते हैं. हमें कोई बरगला नही सकता है, हम तीन साल भी बैठे रह सकते हैं. हमें कोई भी डिगा नही सकता है, आंदोलन तीन साल चल सकता है. सड़क रोकेंगे. उन्‍होंने साफ कहा कि किसी भी सूरत में कानून लागू नही होंगे देंगे.

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इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा. गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी और बढ़ती सर्दी का हवाला देते हुए तीन दिसंबर की जगह मंगलवार यानी आज बातचीत के लिये आमंत्रित किया है. इस बीच, केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए बुंदेलखंड़ के करीब 500 किसान निजी साधनों से बृहस्पतिवार को दिल्ली कूच करेंगे. यह जानकारी एक किसान संगठन के पदाधिकारी ने दी. 

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