किसान आंदोलन : शिवसेना का हमला- 'मोदी सरकार किसानों के साथ बस मीटिंग-मीटिंग खेल रही है'

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा कि 'केंद्रीय मंत्रियों और किसानों के बीच आठ चरणों में हुई बातचीत के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला है. सरकार को इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है. सरकार राजनीति कर रही है और किसानों को आंदोलन जारी रखना पड़ रहा है.'

किसान आंदोलन : शिवसेना का हमला- 'मोदी सरकार किसानों के साथ बस मीटिंग-मीटिंग खेल रही है'

42 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं किसान. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुंबई:

शिवसेना ने बुधवार को आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन (Farmers' Protests over Farm Laws) के मुद्दे पर राजनीति कर रही है. बीजेपी की पूर्व सहयोगी शिवसेना ने आरोप लगाया कि 'केंद्र सरकार किसानों का मुद्दा सुलझाना नहीं चाहती है और उनके साथ मीटिंग-मीटिंग खेल रही है.'

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए कहा कि दिल्ली की ठंड में अब तक 50 किसानों की मौत हो चुकी है लेकिन फिर भी वो कृषि कानूनों को वापस कराए बिना पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. संपादकीय में पार्टी ने कहा, 'केंद्रीय मंत्रियों और किसानों के बीच आठ चरणों में हुई बातचीत के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला है. सरकार को इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है. सरकार राजनीति कर रही है और किसानों को आंदोलन जारी रखना पड़ रहा है.'

पार्टी ने कहा, 'दिल्ली कड़ाके की ठंड है. तीन दिनों से बारिश हो रही है. किसानों के टेंट में पानी घुस गया है. उनके कपड़े और बिस्तर भीग चुके हैं, लेकिन किसान वापस जाने को तैयार नहीं हैं. वो इन कानूनों को वापस किए जाने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं.' पार्टी ने कहा कि सरकार की नजर में किसानों के बलिदानों का कोई मोल नहीं है. संपादकीय में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दखल देना चाहिए था.

पार्टी ने कहा, 'अगर सरकार की कोई आत्मा होती तो कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाता और किसानों की जिंदगियों से हो रहा यह खिलवाड़ तुरंत बंद हो जाता.'

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बता दें कि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने सोमवार को हुई मीटिंग के बाद कहा था कि 'आठ चरणों की बातचीत के बाद भी दोनों पक्ष किसी समाधान पर नहीं पहुंच पाए हैं क्योंकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर 'अड़े' हुए हैं.' 

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कुछ दिनों पहले दावा किया था कि आंदोलन में अब तक कुल 60 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. उन्होंने कहा कि हर 16 घंटे पर एक किसान की मौत हो रही है और सरकार की जिम्मेदारी है कि वो इसपर जवाब दे.

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