किसान आंदोलन : आज दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद करेंगे अन्नदाता, भारी पुलिस बल तैनात; 10 बड़ी बातें

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) शनिवार को 17वें दिन में प्रवेश कर गया है. सरकार की ओर से जारी मान मनौव्वल के बीच आंदोलित किसानों ने प्रदर्शन तेज करने की चेतावनी दी है.

नई दिल्ली : रविवार को दिल्ली-जयपुर राजमार्ग को अवरुद्ध करने के लिए हजारों किसान एक ट्रैक्टर रैली निकालेंगे, प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए कहा. नए कृषि कानूनों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक ताजा संदेश के बावजूद किसान अपने आंदोलन को तेज करने की कोशिश करते दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी सोमवार को सभी जिला कार्यालयों में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे और सुबह 8 से शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल करेंगे. बड़े राजमार्गों को अवरुद्ध करने और राजधानी में और अधिक सड़कों पर जाने से रोकने के लिए हजारों पुलिसकर्मी दिल्ली की सीमाओं के पास तैनात थे. वहीं शनिवार सुबह केंद्र सरकार के सुधारों का बचाव करते हुए, पीएम मोदी ने कहा: "हम किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें अधिक समृद्ध बनाने के लिए ये सभी पहल कर रहे हैं. आज, भारत के किसान अपनी उपज को मंडियों और साथ ही बाहर भी बेच सकते हैं."

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. दिल्ली के साथ गुड़गांव की सीमा पर 1,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे और फरीदाबाद में 3,500 पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों के आंदोलन को अवरुद्ध करने के लिए कहा कि वे दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर कब्जा कर लेंगे. पुलिस ने बड़ी संख्या में सैकड़ों किसानों के समूहों को दिल्ली से आगरा तक मुख्य राजमार्ग पर रोक दिया.. 

  2. भारतीय किसान यूनियन द्वारा समर्थित आंदोलनकारी किसान राजमार्गों पर टोल प्लाजा पर कब्जा करने के बाद नारेबाजी करते हुए दिखाई दिए. उन्होंने वाहनों को बिना टोल शुल्क दिए गुजरने की अनुमति दे दी. समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि कुछ किसानों को आगरा एक्सप्रेसवे पर हिरासत में लिया गया है.. 

  3. पीएम मोदी ने शनिवार को किसानों को आश्वासन दिया कि कृषि क्षेत्र में सुधारों का उद्देश्य उनकी मदद करना है. "सुधार कृषि में निवेश आकर्षित करने और किसानों को लाभान्वित करने में मदद करेंगे," उन्होंने नई दिल्ली में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की वार्षिक बैठक में कहा.

  4. हालांकि, किसानों ने कहा कि वे चाहते हैं कि नए कानूनों को वापस लिए जाने से कम कुछ भी ना हो. भारतीय किसान यूनियन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक याचिका दायर की गई थी जिसमें उन्हें निरस्त करने की मांग की गई थी. शीर्ष अदालत पहले ही कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र को नोटिस जारी कर चुकी है.

  5. नए कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के तीसरे सप्ताह में प्रवेश करने के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा ने देश भर में व्यापक अभियान की योजना बनाई है. पार्टी के सूत्रों ने बताया कि अगले कुछ दिनों में सत्ताधारी दल से बड़े जोर शोर के साथ  100 प्रेस कॉन्फ्रेंस और 700 किसानों की बैठकें 700 जिलों में आयोजित करेगी.

  6. सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से शुक्रवार को कहा कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने देने के लिए सतर्क रहें. केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि ‘असामाजिक तत्व' किसानों का वेश धारण कर उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए उनके और उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही है. तोमर ने ट्वीट किया, ‘‘किसानों की आपत्तियों का समाधान करने के लिए किसान संघों के पास एक प्रस्ताव भेजा गया है और सरकार इसपर आगे चर्चा के लिए तैयार है.''

  7. खाद्य, रेलवे और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘देश की जनता देख रही है, उसे पता है कि क्या चल रहा है, समझ रही है कि कैसे पूरे देश में वामपंथियों/माओवादियों को कोई समर्थन नहीं मिलने के बाद वे किसान आंदोलन को हाईजैक करके इस मंच का इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए करना चाहते हैं.''

  8. हालांकि, किसान नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ उनके प्रदर्शन का राजनीति से कोई वास्ता नहीं है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि नये कृषि कानूनों को समाप्त किए जाने से कम पर कोई समझौता नहीं होगा और अगर सरकार बात करना चाहती है, तो पहले की तरह औपचारिक रूप से किसान नेताओं को सूचित करे.

  9. केन्द्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर 11 दिनों से धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने शुक्रवार को कहा कि जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होती, तब तक वह अपना धरना जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को सिर्फ देश के प्रधानमंत्री ही दूर कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री या अन्य कोई अन्य मंत्री इस समस्या का हल नहीं कर सकता है.

  10. मंत्रियों के साथ हुई बैठक के बेनतीजा रहने पर किसान संगठनों ने कहा था कि वे अपने आंदोलन को तेज करेंगे तथा राष्ट्रीय राजधानी को जोड़ने वाले राजमार्गो को बाधित करेंगे क्योंकि सरकार की पेशकश में कुछ भी नयी बात नहीं है. किसान नेताओं ने धमकी दी कि यदि सरकार अपने तीन कानूनों को रद्द नहीं करती तो रेलवे पटरियों को भी अवरुद्ध किया जायेगा.