गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों की तादाद बढ़ाने के लिए बैठक, बनाया गया 'खुफिया प्लान'

गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए शुक्रवार को एक बैठक हुई. बैठक में किसानों की संख्या को स्थिर रखने के लिए एक नई रणनीति बनाई गई.

खास बातें

  • दो मंडल के जिलाध्‍यक्ष किसानों के साथ बारी-बारी से धरने पर बैठेंगे
  • गर्मी के मद्देनजर फ्लाईओवर के नीचे लगाया जा रहा नया तंबू
  • बढ़ती गर्मी और खेती के लिए किसानों के लौटने के कारण घटी संख्‍या
नई दिल्ली:

Kisan Aandolan: गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर किसानों का आंदोलन चल रहा है लेकिन फिलहाल रेल के चक्का जाम के बाद आगे क्या? इस सवाल का जवाब खुद भारतीय किसान यूनियन (BKU) नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के पास भी नहीं है. इस बीच, गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए शुक्रवार को एक बैठक हुई. बैठक में किसानों की संख्या को स्थिर रखने के लिए एक नई रणनीति बनाई गई. एक के बाद एक पंचायत करने के बाद शुक्रवार को राकेश टिकैत गाजीपुर बार्डर पर पहुंचे. पहले युवा किसान नेता के जन्मदिन पर केक काटा फिर किसानों की बैठक करने चले गए. बढ़ती गर्मी को देखते हुए अब गाजीपुर बॉर्डर पर फ्लाईओवर के नीचे मीडिया और किसान नेताओं के बैठक के लिए नया तंबू तैयार हो रहा है. बैठक में बनाई गई रणनीति के तहत सहारनपुर और मेरठ मंडल के जिलाध्यक्ष दो सौ किसानों के साथ दस-दस दिन के लिए धरने पर बैठेंगे.

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BKU के प्रवक्‍ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा, 'बैठक करके हमने कहा है कि दो सौ किसानों के साथ धरने पर आएं हालांकि किसानों को खेती भी करनी है.' किसानों की संख्या कम होने पर उन्होंने कहा कि तादाद बराबर है. कल यहां रैली निकाली गई थी तो काफी संख्या में लोग थे. अब तो हम खुद किसान पंचायत कर रहे हैं तो यहां तादाद बढ़ाकर क्या करेंगे.गौरतलब है कि बढ़ती गर्मी और खेती के लिए किसानों के वापस लौटने की वजह से गाजीपुर बॉर्डर में संख्या घटी है.

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हालांकि अब राकेश टिकैत को समर्थन देने के लिए तेलंगाना में मलकागिरी के सांसद और बिहार RJD के नेता भी गाजीपुर बार्डर पहुंच रहे हैं. मार्च में तेलंगाना में भी टिकैत की पंचायत कराने का इरादा है. मलकागिरी तेलंगाना के सांसद, रेवंत रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना और बिहार जैसे राज्यों से भी राकेश टिकैत को समर्थन तो मिल रहा है. हालांकि किसान आंदोलन को देश भर से समर्थन मिल रहा है कि करीब दो से तीन हजार किसानों को गाजीपुर बॉर्डर धरना स्थल पर लगातार बनाए रखना और खाना-पानी की व्यवस्था करना एक चुनौती जरूर साबित होगी.