किसान आंदोलन: पॉप स्‍टार रिहाना के ट्वीट पर बोले केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले,'कृषि कानूनों को...'

मंगलवार को रिहाना ने CNN की एक रिपोर्ट के साथ ट्वीट किया था जिसमें उन्‍होंने लिखा, ‘‘हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं? हैशटैग किसान आंदोलन.''

किसान आंदोलन: पॉप स्‍टार रिहाना के ट्वीट पर बोले केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले,'कृषि कानूनों को...'

रामदास अठावले ने कहा, कृषि कानूनों को पढ़ने के बाद भी इस बारे में कोई धारणा बनानी चाहिए

नई दिल्ली:

Farmers Protest: इंटरनेशनल पॉप स्‍टार रिहाना (Rihanna)भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में उतर आई हैं. रिहाना ने किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में ट्वीट में लिखा, "हम किसानों की बात क्यों नहीं कर रहे. #FarmersProtest. किसानों के समर्थन में सिंगर रिहाना के उतरने पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athawale) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'लोग जो आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं, उन्‍हें कृषि कानूनों को पढ़ने के बाद भी इस बारे में कोई धारणा बनानी चाहिए.' एनडीए सरकार में मंत्री और राज्‍यसभा सांसद अठावले ने कहा, 'मेरे विचार से यह किसी की भी व्‍यक्तिगत पसंद है कि वे किसी बात का समर्थन करेंग या न करें. चाहें वह रिहाना हों या इंडस्‍ट्री से कोई और, उन्‍हें पहले कृषि कानूनों का अध्‍ययन करने के बाद ही इस बारे में कोई में कोई राय बनानी चाहिए.' उन्‍होंने कहा कि यह सही हैं या नहीं, यह जाने बिना ही कृषि कानूनों का विरोध करना उचित नहीं है.

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गौरतलब है कि मंगलवार को रिहाना ने CNN की एक रिपोर्ट के साथ ट्वीट किया था जिसमें उन्‍होंने लिखा, ‘‘हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं? हैशटैग किसान आंदोलन.'' उन्होंने प्रदर्शन स्थल पर इंटरनेट बंद करने की भी आलोचना की. रिहाना (32) विश्व स्तर की पहली स्टार हैं, जिन्होंने किसान आंदोलन को समर्थन दिया है. रिहाना के ट्विटर पर 10 करोड़ फॉलोवर हैं और उनके इस ट्वीट को एक घंटे में हजारों लोगों ने रीट्वीट किया.

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किसानों और सरकार के बीच अब तक 11 राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो पाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गत शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है. सरकार ने 22 जनवरी को सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई आखिरी दौर की बातचीत में कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था. किसान संगठन कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं.

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