यह ख़बर 25 मार्च, 2014 को प्रकाशित हुई थी

दंगों का दुख है, लेकिन कोई अपराध बोध नहीं : नरेंद्र मोदी

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

बीजेपी के पीएम उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी का कहना है कि 2002 के गुजरात दंगों का उन्हें दुख है, लेकिन कोई अपराध बोध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वह तब इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन उनकी पार्टी ने ऐसा नहीं करने दिया।

उन्होंने कहा कि वह दंगों के बाद से 12 साल सार्वजनिक तौर पर 'मोदी आलोचना' का सामना करते रहे, लेकिन उन्होंने निर्णय किया कि 'मीडिया को अपना काम करने दें' और कोई टकराव नहीं करें।

बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा, 'मैंने कभी टकराव में अपना समय नहीं गंवाया।' ब्रिटेन के लेखक और टीवी प्रोड्यूसर एंडी मैरिनों लिखित हाल में प्रकाशित जीवनी में यह बात कही गई है।

पुस्तक के अनुसार 2002 के दंगों पर मोदी ने कहा, 'जो हुआ मुझे उसका दुख है, लेकिन कोई अपराध बोध नहीं है और कोई अदालत यह स्थापित करने (दंगों में उनकी भूमिका) के करीब भी नहीं पहुंची।

इस 310 पृष्ठीय जीवनी में यह खुलासा भी किया गया है कि मोदी दंगों के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें पद पर बने रहने को कहा।

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मोदी की आम तौर पर प्रशंसा करने वाली इस पुस्तक में कहा गया कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने पणजी बैठक में कहा, 'मैं गुजरात के बारे में कुछ कहना चाहता हूं। पार्टी के नजरिए से यह एक गंभीर मुद्दा है।' पुस्तक के अनुसार मोदी ने कहा, इस मुद्दे पर बेबाक चर्चा की आवश्यकता है। 'ऐसा होने के लिए, मैं इस्तीफा देना चाहूंगा। यह समय इस बारे में निर्णय करने का है कि इस बिंदु से पार्टी और देश किस दिशा में जाना चाहिए।' मोदी ने लेखक से कहा, 'यह मेरे ऊपर निर्भर नहीं था। मैं पार्टी अनुशासन के खिलाफ जाने को तैयार नहीं था, मैं अपनी पार्टी से नहीं लड़ना चाहता था। मेरे नेता जो कहें, मुझे उसका पालन करना चाहिए।'