वित्त मंत्री ने रक्षा बजट में की 7.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रक्षा बजट बढ़ाकर 2 लाख 46 हज़ार 727 करोड़ रुपये कर दिया है। बीते साल यह बजट 2 लाख 29 हज़ार करोड़ रुपये था। सेना की ज़रूरतों को देखते हुए यह बढ़ोतरी नाकाफी दिख रही है।

भारत का रक्षा बजट अब भी चीन से तीन गुना कम है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजटीय भाषण में रक्षा क्षेत्र का बजट 2 लाख 46 हज़ार 727 करोड़ रुपये करने की घोषणा की है। यह बजट पिछले साल के मुकाबले 7.5 प्रतिशत ज़्यादा है, लेकिन सेना की ज़रूरत और रक्षा क्षेत्र की चुनौतियों के मद्देनज़र यह राशि कम है।

जेटली ने बताया कि पिछले साल रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित 2 लाख 29 हज़ार करोड़ में से 2 लाख 22 हज़ार करोड़ रुपये खर्च हो पाए। ज़ाहिर है कुछ महीनों तक ख़ुद रक्षा मंत्री रहे जेटली की रक्षा बजट में 7.5 फीसदी की इस बढ़ोतरी से समय से लटके पड़े सौदों को अमलीजामा पहनाने में थोड़ी मदद मिलेगी। हांलाकि सेना की आवश्यकता और बजट के प्रावधानों में अंतर को पाटने के लिए और पैसे की ज़रूरत थी। जेटली ने अपने भाषण में वन-रैंक-वन-पेंशन का उल्लेख भी नहीं किया है।

चीन का रक्षा बजट तीन बिलियन डॉलर है, यानी भारत से तीन गुना ज़्यादा। रक्षा पर संसद की स्थायी समिति की ओर से बताए मापदंडों पर बजट की यह बढ़ोतरी खरी नहीं उतरती है। संसद की समिति ने चंद महीने पहले ही अपनी रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय को उसके रवैये के लिए जमकर लताड़ पिलाई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में टैंकों, मिसाइलों, गोला बारूद, बुलेट प्रूफ जैकेट्स और नाइट विज़न उपकरणों को लेकर सरकार को धो डाला था।

समिति ने कहा था कि मित्र देशों और वैश्विक बाज़ार में कई तरह के टैंकों की मौजूदगी के मद्देनज़र सेना को अपना टैंक खुद चुनने की आज़ादी दी जानी चाहिए और ज़रूरत पड़े तो सेना को अतिरिक्त राशि देनी चाहिए। समिति ने मिसाइलों के लिए वाहनों की कमी पर भी सरकार को लताड़ा था। गोला-बारूद की कमी पर चेतावनी देते हुए समिति ने कहा था कि उसके हिसाब से लंबी अवधि तक युद्ध झेल पाना देश के बूते के बाहर होगा। समिति ने गोला बारूद के लिए सेना को धनराशि उपलब्ध कराने के लिए भी कहा था।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com