दिल्ली में मंगलवार की सुबह छाएगा कोहरा, प्रदूषण ने 10 साल कम कर दी उम्र

राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को रहा नमी का असर, 2016 में दिल्ली की वायु गुणवत्ता दो दशकों में सबसे घातक रही

दिल्ली में मंगलवार की सुबह छाएगा कोहरा, प्रदूषण ने 10 साल कम कर दी उम्र

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • प्रदूषण से दिल्ली के लोगों की जिंदगी 10 साल कम हुई
  • राजधानी, देश के 50 सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर
  • बुलंदशहर देश की सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को नमी का असर रहा और न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया. मंगलवार को आसमान साफ रहने और सुबह हल्का कोहरा छाये रहने का अनुमान है. दूसरी तरफ दिल्ली में प्रदूषण फिर बढ़ने लगा है. सोमवार को एक नया अध्ययन सामने आया है जो कि चौंकाने वाला है.

मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘अधिकतम तापमान 28.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो वर्ष के इस समय के दौरान सामान्य है. न्यूनतम तापमान 15.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस अधिक है.''  हवा में नमी का स्तर 91 और 45 प्रतिशत के बीच दर्ज किया गया.    

मौसम विद ने मंगलवार को आसमान साफ रहने और सुबह हल्का कोहरा छाये रहने का अनुमान व्यक्त किया है. अधिकारी ने बताया, ‘‘अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 29 और 13 डिग्री सेल्सियस के बीच बने रहने का अनुमान है.'' रविवार को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 12.3 डिग्री सेल्सियस जबकि अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था.

सोमवार को एक नए अध्ययन में कहा गया कि पिछले दो दशकों के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता 2016 में सबसे ज्यादा घातक थी और इससे एक नागरिक की जीवन प्रत्याशा में 10 साल से अधिक की कमी आई है. इसमें यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय राजधानी, देश के 50 सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर रही. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत इस समय दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है. उससे ऊपर केवल नेपाल है. इसमें कहा गया कि एशिया में जीवन प्रत्याशा की कमी सबसे ज्यादा हुई है जो भारत और चीन के अनेक हिस्सों में छह साल से ज्यादा कम हो गई.    

एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो (एपिक) द्वारा तैयार वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक और संलग्न रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में सूक्ष्मकणों से प्रदूषण से औसत जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष कम हुई है जो यह मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा वैश्विक खतरा बन रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘सूक्ष्मकणों से प्रदूषण का जीवन प्रत्याशा पर असर एक बार के धूम्रपान से पड़ने वाले असर के बराबर, दोगुने अल्कोहल और मादक पदार्थ के सेवन, असुरक्षित पानी के तीन गुना इस्तेमाल, एचआईवी-एड्स के पांच गुना संक्रमण और आतंकवाद या संघर्ष से 25 गुना अधिक प्रभाव के बराबर हो सकता है.''

अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि पिछले दो दशकों में भारत में सूक्ष्मकणों की सांद्रता औसतन 69 प्रतिशत बढ़ गई, जिससे एक भारतीय नागरिक की जीवन अवधि की संभावना 4.3 साल कम हुई जबकि 1996 में जीवन प्रत्याशा में 2.2 साल की कमी का अनुमान लगाया गया था. देश के 50 सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में दिल्ली का स्थान बुलंदशहर के बाद दूसरे नंबर पर था.
(इनपुट भाषा से)


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