यह ख़बर 13 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

मंत्रिमंडल ने खाद्य सुरक्षा बिल पर फैसला टाला

खास बातें

  • इस विधेयक के जरिए देश की 64 प्रतिशत आबादी को सस्ती दर पर खाद्यान प्राप्त करने का कानूनी अधिकार देने का प्रावधान प्रस्तावित है।
नई दिल्ली:

मंत्रिमंडल ने खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे पर निर्णय को मंगलवार को टाल दिया। इस विधेयक के जरिए देश की 64 प्रतिशत आबादी को सस्ती दर पर खाद्यान प्राप्त करने का कानूनी अधिकार देने का प्रावधान प्रस्तावित है। बैठक में मौजूद एक कैबिनेट मंत्री ने कहा, खाद्य विधेयक के मसौदे पर चर्चा अधूरी रही और मामले को अगली बैठक के लिये टाल दिया गया। इस पर चर्चा अगले सप्ताह जारी रहेगी। प्रस्तावित कानून में लाभार्थियों को दो श्रेणी..प्राथमिकता प्राप्त परिवार और सामान्य परिवार..में बांटा गया है। प्राथमिकता प्राप्त परिवार में वही लोग हैं जो मौजूदा जनवितरण प्रणाली के तहत गरीबी रेखा के नीचे आते हैं जबकि सामान्य परिवार में गरीबी रेखा के उपर रहने वाले परिवार आते हैं। सरकार की 75 प्रतिशत तक ग्रामीण आबादी को इस कानून के दायरे में शामिल करने की योजना है। इसमें 46 प्रतिशत प्राथमिक श्रेणी के अंतर्गत आएंगे। शहरी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत लोग इस योजना के अंतर्गत आएंगे जिसमें 28 प्रतिशत प्राथमिक श्रेणी के अंतर्गत आएंगे। विधेयक में प्रति व्यक्ति सात किलो चावल और गेहूं उपलब्ध कराने की योजना है। चावल की कीमत 3 रुपये तथा गेहूं का मूल्य 2 रुपया किलो होगा। सामान्य परिवार के तहत आने वाले कम से कम 3 किलो अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधे भाव प्राप्त करेंगे। कानून के अमल में आने के बाद खाद्य सब्सिडी बिल 95,000 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है जो पिछले वित्त वर्ष में 63,000 करोड़ रुपये था। वहां खाद्यान की जरूरत 6.1 करोड़ टन हो जाएगी जबकि फिलहाल यह 5.5 करोड़ टन है। विधेयक में यह प्रावधान है कि अगर सरकार बाढ़ एवं सूखा जैसी प्राकृतिक आपदा के कारण सस्ती दर पर अनाज उपलब्ध कराने में नाकाम रहती है तो वह नकद भुगतान करेगी।


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