ये हैं अटल बिहारी वाजपेयी के वे 5 भाषण, जिनमें उन्होंने विपक्ष से लेकर अमेरिका तक को लगाई थी फटकार

यूएन में दिए अपने भाषण में उन्होंने कहा कि जनता सरकार को अभी सत्ता संभाले छह महीने हुए हैं. इतने ही समय में हमारी सरकार ने देश में मानवाधिकार को फिर से स्थापित किया है.

ये हैं अटल बिहारी वाजपेयी के वे 5 भाषण, जिनमें उन्होंने विपक्ष से लेकर अमेरिका तक को लगाई थी फटकार

Atal Bihari Vajpayee का एम्स में हुआ निधन

नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को एम्स में निधन हो गया. अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिक करियर की शुरुआत से ही अपनी अलग शैली के लिए जाने जाते थे. वे देश के उन प्रधानमंत्रियों में शामिल थे जिन्हें खास तौर पर उनके फैसलों और भाषणों के लिए जाना जाता था. आज हम आपसे उनके ऐसे ही 5 भाषण साझा करने जा रहे हैं जिनके लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे...

1. 1977 में यूएन में दिया गया उनका भाषण
यूएन में दिए अपने भाषण में उन्होंने कहा कि जनता सरकार को अभी सत्ता संभाले छह महीने हुए हैं. इतने ही समय में हमारी सरकार ने देश में मानवाधिकार को फिर से स्थापित किया है. इस भय और आतंक के वातावरण ने हमारे लोगों को घेर लिया था वह दूर हो गया है. ऐसे संवैधानिक कदम उठाए जा रहे जिससे यह सुनिश्चित हो जाए कि लोकतंत्र और बुनियादी आजादी का अब फिर कभी हनन नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमारा विश्वास रहा है कि सारा संसार एक परिवार है. मैं राष्ट्रों की सत्ता और महत्ता के बारे में नहीं सोच रहा हूं. आम आदमी की प्रतिष्ठा और प्रगति मेरे लिए काफी अधिक महत्तव रखती है. अंतत: हमारी सफलताएं असफलताएं एक ही मापदण्ड से मापी जानी चाहिए कि क्या हम पूरे मानव समाज हर नर नारी और बालक के लिए न्याय और गरिमा की आश्वस्ति देने में समर्थ हैं. उन्होंने कहा कि रंगभेद की सभी रूपों का जड़ से उन्मूलन होना चाहिए. भारत सभी देशों से मित्रता चाहता है कि और किसी देश पर प्रभुत्तव स्थापित नहीं करना चाहता. 
 

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2.पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद दिया गया उनका भाषण
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद दिया गया भाषण आज भी याद किया जाता है. देश को वैश्विक पटल पर एक अलग पहचान दिलाने के बाद वाजपेयी जी ने देश की संसद मे एक यादगार भाषण दिया था. इस भाषण में उन्होंने विपक्ष को जमकर फटकार लगाई. उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि ये आश्चर्य है कि परमाणु परीक्षण की भी आलोचना की. पूछा गया कि देश के सामने कौन सा खतरा था. उन्होंने कहा कि मैंने 1974 में जब इंदिरा जी के नेतृत्व में परमाणु परीक्षण किया गया था तो हमने उसका स्वागत किया था. क्योंकि वह देश की रक्षा के लिए किया गया. उन्होंने कहा कि क्या रक्षा के मामले में हमें आत्मनिर्भर नहीं होना चाहिए. वाजपेयी जी ने यूरोप का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि पोखरण टू अपनी संतुष्टि के लिए नहीं था. आर्थिक प्रतिबंध हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सके. रक्षा संबंधी फैसले करने से हमें नही विरथ नहीं कर सके. लेकिन परीक्षण के साथ हमनें यह भी ऐलान किया कि हम परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने में हम पहले पहल नहीं करेंगे. हमनें यह भी कहा जिनके बाद यह हथियार नहीं हैं हम उनके खिलाफ इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे. 

3. अटल बिहारी का बाबरी मस्जिद के बाद दिया गया भाषण
अटल बिहारी वाजपेयी ने बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले एक भड़काऊ भाषण दिया था. अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है वह कार्य सेवा के लिए रोकता नहीं है. इस आदेश के अनुसार हम कार्यसेवकों को कार्यसेवा करने का अधिकार मिल गया है. रोकने का तो सवाल ही नहीं है. कार्यसेवा करके सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान किया जाएगा. 

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4. अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद में अटल जी का भाषण
संसद में भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान दिए अटल जी के भाषण को आज भी याद किया जाता है. जिस अंदाज में उन्होंने नंबर गेम को लेकर विपक्ष पर हमला बोला था उसे आज भी सराहा जाता है. उन्होंने कहा कि इस सदन में एक-एक व्यक्ति की पार्टी है. और वह हमारे साथ संघर्ष करके हमें हटाने का प्रयास कर रहे हैं. वह अकेले चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी पार्टियों का देश सेवा करने का तरीका अलग है. वह अपने क्षेत्र से अलग चलते हैं और दिल्ली आकर किसी दूसरे से हाथ मिला लेते हैं. उन्होंने कहा कि आज जो हमारी पार्टी है उसके पीछे हमनें मेहनत किया है. यह पार्टी कोई चुनाव के समय कुकुरमुत्ते की तरह खड़ी होने वाली पार्टी है. यह बात अलग है कि हमारे पास नंबर नहीं है लेकिन यह भी सच है कि हम सबसे बड़ी पार्टी है. हम सदन चलने में मदद करेंगे. 

5.पाकिस्तान और अमेरिका लेकर दिया उनका भाषण
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने एक भाषण में पाकिस्तान और अमेरिका पर हमला किया था. उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि पाकिस्तान का जब से जन्म हुआ है अमेरिका उसकी पीठ थपथपाता रहा है. सच में देश का जो बंटवारा हुआ उसमें साम्राज्यवादियों की चाल थी. शीतयुद्ध का सहारा लेकर और यह सोचकर की पाकिस्तान साम्यवाद के विरुद्ध एक मोर्चा बनेगा. अमेरिका ने उसे हथियार दिए समझौता किया. जब पहला पाकिस्तान और अमेरिका का समझौता हुआ था तब देश में व्यापक रोष पैदा हुआ था. उन्होंने इसे लेकर एक कविता भी पढ़ी. 

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