पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में जाने की सहमति देने पर कांग्रेस सकते में

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में बतौर मुख्य़ अतिथि शामिल होने की सहमति देने पर बवाल शुरू हो गया है.

पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में जाने की सहमति देने पर कांग्रेस सकते में

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)

खास बातें

  • मुखर्जी को आरएसएस के निमंत्रण पर पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने उठाए सवाल
  • कहा- संघ के विचारों के खिलाफ रहे तो इस संगठन के कार्यक्रम में क्यों शामिल
  • गडकरी ने कहा, आरएसएस कोई पाकिस्तान का आईएसआई नहीं
नई दिल्ली:

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में बतौर मुख्य़ अतिथि शामिल होने की सहमति देने पर बवाल शुरू हो गया है. इस मामले में पहले कांग्रेस चुप्पी साधे रही फिर एक पूर्व सांसद और एक पूर्व मंत्री ने इस पर सवाल खड़े कर दिए. बीजेपी ने इस मामले में मुखर्जी का बचाव किया और संघ ने कहा कि मुख्रर्जी का संघ के कार्यक्रम में आना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार करने के मुद्दे पर कांग्रेस ने कुछ कहने से इनकार कर दिया, हालांकि पार्टी के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने इसे ‘अटपटा’ करार देते हुए मुखर्जी के इस कदम पर सवाल खड़े कर दिए. दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए मुखर्जी हमेशा आरएसएस के विचारों के खिलाफ रहे तो आखिर वह इस संगठन के कार्यक्रम में क्यों शामिल हो रहे हैं. 

यह भी पढ़ें: पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी का आरएसएस के कार्यक्रम में जाना तय, कांग्रेस में छाई चुप्पी

दीक्षित ने कहा, ‘‘ प्रणब दादा के संघ के बारे में लगभग वही विचार रहे हैं जो कांग्रेस के रहे हैं कि आरएसएस एक फासीवादी संगठन है. आरएसएस की मूल विचाराधारा ही कांग्रेस के खिलाफ है. मुझे यह अटपटा लग रहा है कि आखिर वह उनके कार्यक्रम में क्यों शामिल होने जा रहे हैं?’’ यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार किया है, पूर्व सांसद दीक्षित ने कहा, ‘‘मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि पार्टी को बुरा जरूर लगा होगा. वैसे, आगे पार्टी की आधिकारिक टिप्पणी का इंतजार करिए.’’  भाजपा ने मुखर्जी का बचाव किया कि आरएसएस कोई पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है. यह राष्ट्रवादियों का संगठन है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आज यह कहकर मुखर्जी का बचाव किया कि आरएसएस कोई पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है. यह राष्ट्रवादियों का संगठन है. गडकरी ने कहा, ‘‘आरएसएस पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है. आरएसएस राष्ट्रवादियों का संगठन है.’’ 

यह भी पढ़ें: राहुल के वार पर अरुण जेटली का पलटवार, 'हमारी सरकार में भ्रष्टाचार नहीं मिला तो राफेल का मुद्दा उठा रहे हैं'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार करने के मुद्दे पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीके जाफर शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उनके इस कदम पर आश्चर्य व्यक्ति किया और कहा कि आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में जानबूझकर वह अन्य धर्मनिरपेक्ष लोगों की भांति ही स्तब्ध हैं. शरीफ ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर उनका मानना है कि जो व्यक्ति दशकों तक राजनीति में धर्मनिरपेक्ष रहा, विभिन्न पदों पर सेवाएं दीं, जिसमें राष्ट्रपति जैसे उच्च पद भी शामिल है, उनका संसदीय चुनाव से पहले संघ परिवार के कार्यक्रम में जाना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे इस पर फिर से विचार करने और धर्मनिरपेक्षता तथा देश हित में संघ परिवार के कार्यक्रम में जाने से बचने का अनुरोध करता हूं.’’ 

यह भी पढ़ें: ममता बनर्जी जन्म से विद्रोही हैं, उनकी अनदेखी करना असंभव : प्रणब मुखर्जी

इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वड़क्कन ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'फिलहाल इस मामले पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. इस कार्यक्रम को होने दीजिये. उसके बाद हम कुछ कह सकेंगे.' राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने मंगलवार को कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर स्थित मुख्यालय में होने वाले एक कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार लिया है और इसमें कुछ भी 'आश्चर्यजनक' नहीं है. आरएसएस के नेता नरेंद्र कुमार ने एक बयान में कहा कि मुखर्जी 'तृतीय वर्ष वर्ग' के समापन समारोह में मुख्य अतिथि होंगे और 'स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे.' आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समारोह के मुख्य वक्ता होंगे.

संघ के अनुसार, "जो भी संघ को जानते हैं या समझते हैं, यह उनके लिए आश्चर्यजनक या नया नहीं है. यह उनके लिए सामान्य है, क्योंकि आरएसएस प्रसिद्ध लोगों और सामाजिक सेवा से जुड़े लोगों को बुलाता रहता है. इस बार, आरएसएस ने डॉ प्रणब मुखर्जी को निमंत्रण दिया है और यह उनकी महानता है कि उन्होंने यह निमंत्रण स्वीकार किया है." संगठन ने कहा कि 25 दिवसीय 'तृतीय वर्ष वर्ग' प्रत्येक वर्ष नागपुर में मनाया जाता है, जिसमें पूरे देश से सदस्य प्रशिक्षण के लिए भाग लेते हैं. बयान के अनुसार, "इस वर्ष, यह 14 मई को शुरू हुआ था और यह सात जून को समाप्त होगा, जिसमें देश के विभिन्न भागों से 709 स्वयंसेवक अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे."

यह भी पढ़ें: प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा में किया खुलासा- बाल ठाकरे से मिलने पर सोनिया गांधी मुझसे नाराज थीं

बयान के अनुसार, यहां तक कि महात्मा गांधी ने वर्धा स्थित शिविर का दौरा किया था और बाद में कहा था कि वह संगठन के 'कड़े अनुशासन, सादगी और भेदभाव की अनुपस्थिति' से प्रभावित हुए. पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण, फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा समेत अन्य हस्तियां भी आरएसएस के समारोह में भाग ले चुकी हैं.बयान के अनुसार, "भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान आरएसएस की भूमिका को देखते हुए इसे 1963 में गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था." बयान के अनुसार, "तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय सर्वदलीय बैठक में आरआरएस को आमंत्रित किया था."

VIDEO: मिशन 2019 इंट्रो : आरएसएस के कार्यक्रम में हिस्‍सा लेंगे प्रणब मुखर्जी
बयान में कहा गया है, "संघ पिछले 92 वर्षो से समतावादी समाज बनाने के लिए कार्य कर रहा है और इसमें सफलता मिल रही है. जो भी इसके विचार और कार्य से सहमत होते हैं, वे संघ के समारोह में शामिल होते हैं सहयोग करते हैं." प्रणब मुखर्जी 2012 में राष्ट्रपति बनने से पहले दशकों तक कांग्रेस से जुड़े रहे थे.
(इनपुट एजेंसी से)


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com