कश्मीर में हालात सुधारने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती सरकार

कश्मीर में हालात सुधारने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती सरकार

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • चार सितंबर को जम्मू-कश्मीर जाएगा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल
  • प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी के अलावा विभिन्न दलों के 26 सांसद होंगे शामिल
  • घाटी में हिंसा का दौर जारी, बारामूला में युवक की मौत
नई दिल्ली:

चार सितंबर को जम्मू-कश्मीर जा रहा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल काफी बड़ा होगा. इसमें अलग-अलग दलों के 26 सांसद होंगे. सरकार चला रही बीजेपी के संसद अलग होंगे. जाहिर है, अब सरकार माहौल बेहतर करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. लेकिन श्रीनगर में अब भी झड़पें जारी हैं.

घाटी में हिंसा का दौर जारी है. कश्मीर घाटी में बुधवार को भी कर्फ्यू जैसा ही माहौल दिखा. हालांकि दो दिन पहले ही कर्फ्यू हटा लिया गया है. इस सन्नाटे में बारामूला में एक झड़प की खबर भी आई जिसमें एक नौजवान की मौत हो गई.

सबसे बातचीत करेगा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल
दिल्ली अब कश्मीर के जख्मों पर फाहा रखने के लिए बहुत बड़ी टीम भेजने की तैयारी में है. गृह मंत्रालय के मुताबिक इस बार कश्मीर में करीब 30 सांसदों का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जाएगा. उसके पास गैर बीजेपी दलों के 26 सांसदों की सूची पहुंच चुकी है. इसके अलावा कई अफसर भी इस प्रतिनिधिमंडल के साथ होंगे. दरअसल सरकार का सारा ध्यान फिलहाल वहां ज्यादा से ज्यादा लोगों से बातचीत पर है. कोशिश मौसम बदलने से पहले माहौल बदल देने की है ताकि ईद अमन-चैन और उल्लास से मनाई जा सके. मंत्रालय सभी सांसदों को चार्टर्ड फ़्लाइट से श्रीनगर ले जाएगा. कौन सा संसद किस होटल में रहेगा, यह तैयारी राज्य सरकार कर रही है.

चौथी बार घाटी का दौरा
यह चौथा मौका है जब कश्मीर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा जा रहा है. पहली बार जनवरी 1990 में वीपी सिंह ने देवीलाल के नेतृत्व में वहां एक प्रतनिधिमंडल भेजा था जिसमें वाजपेयी और राजीव गांधी जैसे कद्दावर नेता थे. हालांकि तब आतंकवाद अपने चरम पर था और यह टीम बहुत लोगों से मिल नहीं पाई थी. दूसरी बार 2008 में अमरनाथ बोर्ड को जमीन दिए जाने के फैसले पर हुए हंगामे के बाद एक टीम वहां गई थी. तीसरी बार 2010 में माहौल खराब होने पर एक सर्वदलीय टीम गई थी.

गृह मंत्रालय ने राजनीतिक दलों की अलगवादियों से बातचीत को लेकर इनकार नहीं किया है. आखिरी बार गई टीम के अलग-अलग सदस्यों ने वहां अलगाववादी नेताओं तक से मुलाकात की थी. बाद में उसकी सिफारिश पर तीन वार्ताकार बनाए गए और माहौल बदला. अब चौथे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पर बड़ी जिम्मेदारी है.

नहीं बदले जा रहे राज्यपाल
इस बीच गृह मंत्रालय ने इस खबर को गलत बताया है कि राज्य में राज्यपाल को बदले जाने की तैयारी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि "ऐसी कोई मांग महबूबा मुफ्ती की तरफ से नहीं आई है. अभी राज्यपाल का कार्यकाल बहुत है तो उन्हें क्यों बदला जाएगा."


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