बिना कैश भुगतान की ट्रेनिंग देने वालों को मिलेगा 'भुगतान'

बिना कैश भुगतान की ट्रेनिंग देने वालों को मिलेगा 'भुगतान'

कार्ड के जरिए पेमेंट करते लोग...

खास बातें

  • स्मार्ट फोन से लैस हजारों युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है
  • महीने भर की ट्रेनिंग हो रही है.
  • इसमें सर्टिफिकेट में भी मिलेगा और एक कार्ड भी मिलेगा.
नई दिल्ली:

नोटबंदी के बाद भारत सरकार बिना कैश के भुगतान की एक बड़ी मुहिम शुरू करने जा रही है. स्मार्ट फोन से लैस हजारों युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, लेकिन जिस देश की 80 फीसदी आबादी का जिंदगी नगद पर चलती हो वहां क्या ये आसान है.

महीने भर की ट्रेनिंग हो रही है. इसमें सर्टिफिकेट में भी मिलेगा और एक कार्ड भी मिलेगा. और फिर जब ये काम करेंगे तो उन्हें स्टाइपेंड भी मिलेगा. इस कार्यक्रम में करीब 200 युवा शामिल हुए हैं. नेहरू युवा केंद्र के जरिये यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है. ये सभी युवा दिल्ली और आस-पास के युवा हैं. इसमें महिलाएं भी शामिल हैं.

देशप्रेम की भावना से सराबोर सैकड़ों युवा हाथों में स्मार्ट फोन लिए कैशलेस भुगतान का ऐप डाउनलोड कर रहे हैं. देश को डिजिटल बनाने के लिए पेटीएम, स्टेट बैंक बडी, यूएसएसडी और सीपीआई और ई-वॉलेट चलाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं.

हालांकि बहुत सारे युवाओं के पास स्मार्ट फोन नहीं है, लेकिन यहां बताया जा रहा है कि साधारण फोन से भी *99# से आधार कार्ड जोड़कर खाते से पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं. यही युवा प्रशिक्षण लेकर ये दूसरों को भी प्रशिक्षित करेंगे.
 

(एनडीटीवी से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री विजय गोयल)

भारत सरकार में युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के मंत्री विजय गोयल ने बताया कि बिना कैश के भुगतान संभव है. पहले लोग मोबाइल चलाना नहीं जानते थे, लेकिन अब मोबाइल गांव में भी लोग चलाना जानते हैं. ये ट्रेनिंग पाए लोग उन्हें इस बारे में ट्रेनिंग देंगे. दिल्ली के अलावा नेहरू युवा केंद्र के सभी इकाई इस प्रकार की ट्रेनिंग देंगे. गोयल ने कहा कि पहले वह भी कैश से लेन-देन करते थे, लेकिन अब मोबाइल के जरिए यह काम करते हैं.

लेकिन देश में अस्सी फीसदी लोगों की जिंदगी अब भी कैश पर टिकी है. इसकी तस्दीक एम्स के कर्मचारियों की ये कतार करती है. हमने जब पूछा कि आप मोबाइल वॉलेट क्यों नहीं रखते तो ये जवाब मिला.

इसमें दो राय नहीं है कि कैशलेस भुगतान से लेन-देन में पारदर्शिता आएगी. लेकिन, जब तक ये बदलाव नहीं होता, तब तक क्या लोगों को धक्के खाने के लिए छोड़ दिया जाए?

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