नारियल के पेड़ से संबंधित गोवा का संशोधन गलत, कानूनन टिकने लायक नहीं : संसदीय समिति

नारियल के पेड़ से संबंधित गोवा का संशोधन गलत, कानूनन टिकने लायक नहीं : संसदीय समिति

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पणजी:

एक संसदीय समिति ने गोवा सरकार के उस फैसले को गलत बताया, जिसमें नारियल का एक वृक्ष की बजाय 'ताड़' के तौर पर वर्गीकरण किया गया है और मामले में केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की। साथ ही उसने कहा कि इस संबंध में संशोधन कानूनी जांच में टिक नहीं पाएगा।

राज्यसभा सदस्य अश्विनी कुमार की अध्यक्षता वाली विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं वन पर संसद की स्थायी समिति ने नारियल के पेड़ और खजूर के पेड़ के ब्योरे के संबंध में कानून में अस्पष्टता पर भी गौर किया।

समिति के एक सदस्य ने कहा, 'यह गौर किया गया कि नारियल को 'ताड़' के तौर पर वर्गीकृत करने का फैसला गलत है और वह फल के संरक्षण के हित में नहीं है। नारियल ने गोवा को इतना कुछ दिया है कि कोई उसके संरक्षण के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता।' उन्होंने कहा कि समिति उम्मीद करती है कि केंद्र सरकार हस्तक्षेप करेगी और राज्य सरकार से संशोधन वापस लेने को कहेगी।

गोवा विधानसभा ने पिछले महीने गोवा, दमन एवं दीव वृक्ष संरक्षण अधिनियम पारित किया था, जिसमें नारियल के पेड़ को 'ताड़' के पेड़ के तौर पर वर्गीकृत किया गया था।

कुमार ने संवाददाताओं से कहा, 'वृक्ष संरक्षण अधिनियम में इस संशोधन का असल प्रभाव यह होगा कि अगर यह (नारियल) घास नहीं है और पेड़ नहीं है तो यह क्या है। अगर किसी खास जाति के ब्योरे के अभाव में इसे नष्ट किया जाता है तो निश्चित तौर पर कानून में बदलाव की आवश्यकता है।' नारियल के पेड़ को बिना अनुमति के काटने की अनुमति देने से संबंधित संशोधन ने इस बहस के जन्म दिया है, क्योंकि नारियल (कोकस न्यूसीफेरा) एरीकेसी 'ताड़' परिवार से संबंधित है जबकि 'ताड़' के पेड़ में शाखाएं नहीं होती हैं।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

उन्होंने कहा, 'इसलिए हमने स्थिति को समझने का प्रयास किया। अगर आप इस तरह का वर्गीकरण करते हैं तो यह न्यायिक जांच में टिक नहीं पाएगा।'