गोवा कांग्रेस का दावा, मनोहर पर्रिकर के बेडरूम में हैं राफेल डील के 'राज'

गोवा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने कहा कि सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच से ही मसले की तह में जाने में मदद मिलेगी.

गोवा कांग्रेस का दावा, मनोहर पर्रिकर के बेडरूम में हैं राफेल डील के 'राज'

गोवा कांग्रेस ने राफेल डील की जेपीसी से जांच की मांग की है.

नई दिल्ली :

राफेल डील (Rafale Deal) पर द हिंदू की रिपोर्ट के बाद मचे सियासी बवाल के बीच गोवा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने कहा कि सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच से ही मसले की तह में जाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, 'गोवा के स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, मुख्यमंत्री मनोहर पर्किर के शयन कक्ष में राफेल की जो फाइलें हैं, वह एक-एक करके घटती जा रही हैं. जेपीसी जांच से इन सारे तथ्यों का खुलासा हो जाएगा और ऑडियो टेप के तथ्यों की पुष्टि हो जाएगी'. आपको बता दें कि पिछले दिनों कांग्रेस ने एक ऑडियो टेप जारी किया था. इस ऑडियो क्लिप में राणे और एक स्थानीय पत्रकार को दिखाया गया है, जिसमें राणे ने दावा किया है कि पर्रिकर ने 20 दिसंबर, 2018 को मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकार किया कि राफेल सौदे से जुड़ी फाइलें उनके पास हैं, जिसे लेकर शीतकालीन सत्र के दौरान जनवरी में संसद में शोर-शराबा हुआ. राणे ने बाद में कहा कि टेप के साथ छेड़छाड़ की गई है, जबकि पर्रिकर इस बात पर कायम रहे कि मंत्रिमंडल की बैठक में इस तरह की कोई बात नहीं हुई. 

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आपको बता दें कि एक दिन पहले ही राफेल डील पर द हिंदू की रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस को इस मामले में सत्तारूढ़ बीजेपी को घेरने का एक और मौका मिल गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने द हिंदू की रिपोर्ट से साफ है कि हमारी बात सच साबित हुई. पीएम मोदी खुद इस मामले में बात कर रहे थे और वे घोटाले में शामिल हैं. राहुल गांधी ने कहा कि इस खबर ने प्रधानमंत्री की पोल खोल दी. उन्होंने कहा कि भले ही आप रॉबर्ट वाड्रा और चिदंबरम की जांच कीजिए, मगर राफेल पर भी सरकार को जवाब देना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ, राफेल के मुद्दे पर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में जवाब दिया और कांग्रेस पर पलटवार किया. द हिंदू की खबर को सिरे से खारिज करते हुए लोकसभा में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है और उसका प्रयास गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा है. उन्होंने पीएमओ के हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा कि पीएमओ की ओर से विषयों के बारे में समय-समय पर जानकारी लेना हस्तक्षेप नहीं कहा जा सकता है. 

द हिंदू की रिपोर्ट में क्या है :

रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस के साथ रफ़ाल सौदे की बातचीत (Rafale Deal) में प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल पर एतराज़ जताया था. अंग्रेज़ी अखबार द हिंदू की ख़बर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय तो सौदे को लेकर बातचीत कर ही रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से 'समांतर बातचीत' में लगा था. अखबार के मुताबिक 24 नवंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय के एक नोट में कहा गया कि PMO के दखल के चलते बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की पोज़िशन कमज़ोर हुई. रक्षा मंत्रालय ने अपने नोट में तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का ध्यान खींचते हुए कहा था कि हम PMO को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है उसे समानांतर बातचीत नहीं करने को कहा जाए.  (इनपुट- IANS से भी)

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