गोरखपुर हादसा: जानें उस जापानी बुखार के बारे में, जिनका इलाज करा रहे थे बच्चे

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से जान गंवाने वाले बच्चों में ज्यादातर इन्सेफेलाइटिस (जापानी बुखार) से पीड़ित थे.

गोरखपुर हादसा: जानें उस जापानी बुखार के बारे में, जिनका इलाज करा रहे थे बच्चे

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों का उपचार करते डॉक्टर.

खास बातें

  • गुलाम नबी आजाद के नेतृत्‍व में कांग्रेस डेलीगेशन गोरखपुर पहुंचा
  • कांग्रेस नेता ने हादसे के लिए यूपी सरकार को जिम्‍मेदार ठहराया
  • गोरखपुर में पिछले 36 घंटों में 30 बच्‍चों की मौत हुई
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में महज 36 घंटे के भीतर ऑक्सीजन की कमी से 30 बच्चों की मौत ने प्रशासन के इंतजाम पर सवाल खड़े कर दिए हैं. जान गंवाने वाले बच्चों में ज्यादातर इन्सेफेलाइटिस (जापानी बुखार) से पीड़ित थे. इस बीमारी से ग्रसित बच्चों को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत होती है. इन्सेफेलाइटिस से पूर्वांचल में हर साल कई बच्चों की मौत होती है. ताजा हादसे के बाद लोग इन्सेफेलाइटिस के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं. इंटरनेट पर इन्सेफेलाइटिस के बारे में काफी सर्च किया जा रहा है. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर इन्सेफेलाइटिस क्या है और इसके बचाव और पहचाने के क्या उपाय हैं?

क्या है जापानी इन्सेफेलाइटिस

  1. इन्सेफेलाइटिस उर्फ जापानी बुखार एक प्रकार दिमागी बुखार है जो वाइरल संक्रमण की वजह से होता है.
  2. यह एक खास किस्म के वायरस से द्वारा होता है, जो मच्छर या सूअर के द्वारा फैलते हैं. या यूं कह लें गंदगी से भी यह उत्पन्न हो सकता है. 
  3. एक बार यह हमारे शरीर के संपर्क आता है, फिर यह सीधा हमारे दिमाग की ओर चला जाता है. 
  4. दिमाग में जाते ही यह हमारे सोचने, समझने, देखने और सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है. 
  5. यह वायरस सिर्फ छूने से नहीं फैलता.
  6. ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते हैं. 
  7. इसका प्रकोप साल के तीन महीने अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में अपने जोरों पर होता है.
इन्सेफेलाइटिस के लक्षण
  1. इसके शुरुआती लक्षण कई प्रकार के होते हैं. जबकि इससे ग्रसित 50 से 60 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है. 
  2. बुखार, सिरदर्द, गरदन में अकड़, कमजोरी और उल्टी होना इसके शुरुआती लक्षण हैं. 
  3. समय के साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होने लगती है और हमेशा सुस्ती छाई रहती है.
  4. भूख कम लगना, तेज बुखार, अतिसंवेदनशील होना वहीं, कुछ समय के बाद भ्रम का शिकार होना फिर पागलपन के दौरे आना, लकवा मारना और स्थिति कोमा तक पहुंच सकती है. 
  5. बहुच छोटे बच्चों में ज्यादा देर तक रोना, भूख की कमी, बुखार और उल्टी होना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं.

बचाव के उपाय
  1. समय से टीकाकरण कराएं साफ-सफाई से रहें.
  2. गंदे पानी के संपर्क में आने से बचना होगा.
  3. मच्छरों से बचाव घरों के आस पास पानी न जमा होने दें.
  4. बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खान-पान दें.
वीडियो: गोरखपुर अस्पताल में 36 घंटे में 30 मासूमों की मौत


मालूम हो कि गोरखपुर में 5 दिनों में 60 बच्चों की मौतों के मामले से पूरा देश सहमा हुआ है. कथित तौर पर ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी इसकी वजह बताई जा रही है लेकिन सरकार इस बात से इंकार कर रही है. अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन सिलिंडर सप्‍लाई करने वाली कंपनी पुष्‍पा सेल्‍स के मालिक मनीष भंडारी के घर पर छापा मारा गया है.

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