तिब्बती शरणार्थियों पर सरकार का रुख बदला, 'थैंक यू इंडिया' में पहुंचे मंत्री महेश शर्मा

भारत-चीन के बीच संवेदनशील संबंधों के दौर में कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा की तिब्बत की निर्वासित सरकार से दूर रहने की सलाह के विपरीत केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा रहे उपस्थित

तिब्बती शरणार्थियों पर सरकार का रुख बदला, 'थैंक यू इंडिया' में पहुंचे मंत्री महेश शर्मा

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के साथ केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और बीजेपी के महासचिव राम माधव.

खास बातें

  • डोकलाम विवाद के बाद सरकार ने तिब्बतियों से दूरी बनाने का रुख अपनाया
  • बीजेपी के महासचिव राम माधव, कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी भी शामिल हुए
  • तिब्बतियों की मातृभूमि लौटने की इच्छा की प्रशंसा करता है भारत : राम माधव
नई दिल्ली:

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के निर्वासन के 60 साल पूरे होने पर आयोजित तिब्बतियों के समारोहों से मंत्रियों को दूरी बनाने की सलाह के करीब एक माह बाद आज केंद्र ने अपना रुख बदल लिया. धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार के कार्यक्रम 'थैंक यू इंडिया' में आज केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के साथ बीजेपी नेता राम माधव और विपक्षी दल कांग्रेस के नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी भी शामिल हुए.

तिब्बत की निर्वासित सरकार के कार्यक्रम में मंत्री की मौजूदगी सरकार के उस रवैये के विपरीत है जो कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा के कुछ समय जारी किए गए एक पत्र से सामने आया था. केंद्र सरकार के विभागों और राज्य सरकारों को लिखे गए इस पत्र में साफ कहा गया था कि भारत-चीन के संबंधों के मामले में यह संवेदनशील समय है. पत्र में दलाई लामा के निर्वासन के 60 साल पूरे होने पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई थी. सरकार ने यह रुख पिछले साल डोकलाम गतिरोध के चलते अपनाया था.        

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हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर के समीप मैक्लोडगंज में आयोजित समारोह में बीजेपी के महासचिव राम माधव ने कहा कि भारत निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों की अपनी मातृभूमि लौटने की इच्छा की प्रशंसा करता है और ‘‘अपने दूसरे घर’’ में उन्हें स्वयं को शरणार्थी नहीं समझना चाहिए. तिब्बतियों की निर्वासित सरकार ने दलाई लामा के भारत आने के 60 वर्ष मनाने के लिए ‘‘थैंक यू इंडिया’’ अभियान के तहत वर्ष भर चलने वाले समारोह की शुरुआत की है.

माधव ने समारोह की शुरुआत करने के लिए हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘ भारत ने परेशानी में फंसे लोगों का हमेशा ही बांहें फैलाकर स्वागत किया है. कई लोग शरणार्थी के तौर पर भारत आए और यहां पर उन्हें प्यार और आश्रय मिला. किसी भी शरणार्थी का जीवन बहुत मुश्किल और संघर्षों से भरा होता है लेकिन तिब्बतियों को स्वयं को शरणार्थी नहीं समझना चाहिए क्योंकि वे अपने दूसरे घर में रह रहे हैं.’’

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उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश धर्म निभाया और तिब्बतियों को आश्रय दिया, यद्यपि हम‘‘ राजनीतिक स्तर पर ‘वन चाइना’ नीति का पालन करते हैं.’’ भाजपा नेता ने कहा कि वास्तव में दलाई लामा को इसके लिए धन्यवाद दिया जाना चाहिए कि वह कई बौद्ध विद्वानों के साथ भारत आए. उन्होंने कहा, ‘‘ हम आपकी अपनी मातृभूमि जाने की इच्छा का सम्मान करते हैं... हम आपको शुभकामना देते हैं. यह इच्छा समाप्त नहीं होनी चाहिए. तब तक भारत आपका घर है. भारत बुद्ध, महात्मा गांधी और दलाई लामा की धरती है.’’

केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने कहा, ‘‘भारत और तिब्बत के बीच दशकों पुराने संबंध हैं जिसे किसी भी पैमाने पर मापा नहीं जा सकता. हमारा संबंध एक बड़े भाई और छोटे भाई का है.’’ भाजपा सांसद शांता कुमार ने कहा, ‘‘ धर्मशाला दलाई लामा की मौजूदगी के चलते विश्व का आध्यात्मिक केंद्र बन गया है. यह आध्यात्मिक नेता की महानता है कि वह भारत को धन्यवाद देना चाहते हैं.’’

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केंद्रीय तिब्बती प्रशासन एवं निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रेसीडेंट लोबसांग सांगे ने दलाईलामा के हवाले से कहा, ‘‘ भारत गुरू है और हम चेला हैं. गुरू का सम्मान करना हमारा धर्म है.’’
(इनपुट एजेंसियों से भी)


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