पेट्रोल और डीजल के दामों से ग्राहको को होने वाली तकलीफ से सरकार चिंतित : पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान

धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा, ‘चीजों को समग्र रूप से दखने की जरूरत है. हमें राजकोषीय संतुलन ठीक रखना है और साथ ही उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा करनी है.’

पेट्रोल और डीजल के दामों से ग्राहको को होने वाली तकलीफ से सरकार चिंतित : पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान

कहा सरकार ग्राहकों को होने वाली तकलीफ को लेकर चिंतित है

नई दिल्ली:

पेट्रोल डीजल के दामों में हुई बढोतरी के बाद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का एक ताजा बयान आया है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने गुरुवार को कहा कि सरकार ग्राहकों को होने वाली तकलीफ को लेकर चिंतित है लेकिन सरकार को ग्राहकों के हित तथा राजकोषीय जरूरत के बीच संतुलन पर ध्यान देना होता है. हालांकि, प्रधान ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में बढ़ोतरी के कारण होने वाले प्रभाव को कम करने को लेकर उत्पाद शुल्क में कटौती के बारे में कोई प्रतिबद्धता नहीं जतायी.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन के दाम में तेजी से पेट्रोल 55 महीने के उच्चतम स्तर 74.63 रुपये लीटर तथा डीजल 65.93 रुपये लीटर की नई ऊंचाई पर पहुंच गया है. उन्होंने उद्योग के एक कार्यक्रम के दौरान अलग से बातचीत में संवाददाताओं से कहा, ‘हम तकलीफ को लेकर चिंतित हैं. हम कीमत वृद्धि को लेकर चिंतित हैं.’

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यह पूछे जाने पर कि सरकार मसले से निपटने के लिये क्या कर रही है, प्रधान ने कहा कि राज्यों को पेट्रोल और डीजल पर बिक्री कर या वैट में कटौती करनी चाहिए. यह पूछे जाने पर कि क्या उनके मंत्रालय ने उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग की है, उन्होंने कहा कि टुकड़ों में ऐसा करने से मदद नहीं मिलेगी.

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प्रधान ने कहा, ‘चीजों को समग्र रूप से दखने की जरूरत है. हमें राजकोषीय संतुलन ठीक रखना है और साथ ही उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा करनी है.’ उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर सामूहिक रूप से गौर कर रही है. मंत्री ने कहा कि तेल कीमतों पर नजर है. इस सप्ताह की शुरूआत में वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि अगर सरकार राजकोषीय घाटे में कमी लाना चाहती है तो उत्पाद शुल्क में कटौती की सलाह उपयुक्त नहीं है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे में कमी लाकर उसे सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी ) के 3.3 प्रतिशत के स्तर पर रखने का लक्ष्य रखा है. पिछले वित्त वर्ष में यह 3.5 प्रतिशत रही है. प्रधान ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में तेजी के लिये भू - राजनीतिक कारणों को इसकी वजह बताया. उन्होंने कहा कि तेल निर्यातक देशों के संगठन ( ओपेक ) ने उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है जबकि वेनेजुएला, ईरान और सीरिया की स्थिति दाम में वृद्धि में योगदान कर रहे हैं.


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