सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से सरकार ने 5.6 करोड़ वैक्सीन डोज़ खरीदने का किया करार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को घोषणा की है कि कोरोना टीकाकरण अभियान के पहले चरण में तीन करोड़ लोगों, स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के टीकाकरण का खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से सरकार ने 5.6 करोड़ वैक्सीन डोज़ खरीदने का किया करार

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

कोरोना से जारी जंग देश में अब निर्णायक दौर में पहुंचता जा रहा है. सरकार की तरफ से आम लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने का प्रयास तेज हो गया है. सोमवार को भारत सरकार की तरफ से HLL लाइफ केयर लिमिटेड (भारत सरकार का उद्यम) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से वैक्सीन खरीदी है और आगे और खरीदने का करार किया है.11 जनवरी सोमवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन COVISHIELD की 1.1 करोड़ डोज़ खरीदी गई.साथ ही अप्रैल 2021 तक 4.5 करोड़ डोज़ और 200 रुपये प्रति डोज़ के दर से खरीदने की प्रतिबद्धता जताई गयी है.यानि अकेले सिरम इंस्टीट्यूट से भारत ने अब तक 5.6 करोड़ वैक्सीन डोज़ खरीदने का करार हुआ है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ने अप्रैल तक 4.5 करोड़ टीके खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है. इस पूरे ऑर्डर पर 1100 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा. उन्होंने बताया कि मंगलवार तड़के से टीका भेजने की शुरुआत होने की उम्मीद है. दिए गए ऑर्डर के मुताबिक, प्रत्येक ''कोविशील्ड'' टीके पर 200 रुपये और 10 रुपये जीएसटी मिलाकर 210 रुपये की लागत आएगी. 

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को घोषणा की है कि कोरोना टीकाकरण अभियान के पहले चरण में तीन करोड़ लोगों, स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के टीकाकरण का खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि इस चरण में जनप्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया जाएगा. आगामी 16 जनवरी से आरंभ हो रहे देशव्यापी टीकाकरण अभियान के पहले प्रधानमंत्री ने आज सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद किया और कहा कि कोविड-19 के लिए टीकाकरण पिछले तीन-चार हफ्तों से लगभग 50 देशों में चल रहा है और अब तक केवल ढाई करोड़ लोगों को टीके लगाए गए हैं जबकि भारत का लक्ष्य अगले कुछ महीनों में 30 करोड़ लोगों को टीका लगाना है. मोदी ने यह भी कहा कि देश में तैयार कोरोना के दोनों टीके दुनिया के अन्य टीकों के मुकाबले किफायती हैं और उन्हें देश की स्थितियों व परिस्थितियों के अनुरूप निर्मित किया गया है. टीकों को लेकर उठ रहे सवालों के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने भरोसा दिया कि देशवासियों को ‘‘प्रभावी'' वैक्सीन देने के लिए वैज्ञानिक समुदाय ने ‘‘सभी सावधानियां'' बरती हैं.

उन्होंने कहा कि देश अब कोरोना के खिलाफ जंग के निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है. ज्ञात हो कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके ‘कोविशील्ड' और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके ‘कोवैक्सीन' को देश में सीमित आपात इस्तेमाल के लिये भारत के औषधि नियामक की ओर से पिछले दिनों मंजूरी दी गई थी. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच संवाद और सहयोग ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है और यह सहकारी संघवाद का बेहतरीन उदाहरण है. उन्होंने कहा कि जितनी घबराहट और चिंता सात-आठ महीने पहले देशवासियों में थी, उससे वह अब बाहर निकल चुके हैं. उन्होंने इसे देश के लिए ‘‘अच्छी स्थिति'' बताया और सचेत किया कि इसके बावजूद लापरवाही नहीं बरतनी है. उन्होंने कहा, ‘‘देशवासियों में बढ़ते विश्वास का प्रभाव आर्थिक गतिविधियों पर भी सकारात्मक रूप से दिखाई दे रहा है. अब हमारा देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है. यह चरण है टीकाकरण का. 16 जनवरी से हम दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर रहे हैं.''

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लिए गर्व की बात है कि जिन दो टीकों को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है, वे दोनों ही ‘‘मेड इन इंडिया'' हैं. मोदी ने कहा कि इतना ही नहीं, चार और टीकों पर काम हो रहा है . जब ये टीके आ जाएंगे तो हमें भविष्य की योजना बनाने में और सुविधा होगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी दोनों वैक्सीन दुनिया की दूसरी वैकसीन से ज्यादा किफायती हैं. हम कल्पना कर सकते हैं कि भारत को कोरोना के टीके के लिए विदेशी वैक्सीन पर निर्भर रहना पड़ता तो हमारी क्या हालत होती. कितनी बड़ी मुश्किल होती है हम उसका अंदाज लगा सकते हैं. यह वैक्सीन भारत की स्थितियां और परिस्थितियों को देखते हुए निर्मित की गई हैं.''

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(इनपुट भाषा से भी)