यह ख़बर 03 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

खुर्शीद की बीजिंग यात्रा पर मंडरा रहे हैं खतरे के बादल

खास बातें

  • विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पूर्वनिर्धारित बीजिंग यात्रा पर खतरे के बादल मंडराते दिख रहे हैं क्योंकि उन्होंने शुक्रवार को कहा कि लद्दाख मामले को लेकर उत्पन्न मतभेद को समाप्त करने के लिए हो रही वार्ता संतोषजनक नहीं है और भारत चीन की ओर से ‘और बेहतर प्रति
नई दिल्ली:

विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पूर्वनिर्धारित बीजिंग यात्रा पर खतरे के बादल मंडराते दिख रहे हैं क्योंकि उन्होंने शुक्रवार को कहा कि लद्दाख मामले को लेकर उत्पन्न मतभेद को समाप्त करने के लिए हो रही वार्ता संतोषजनक नहीं है और भारत चीन की ओर से ‘और बेहतर प्रतिक्रिया’ चाहता था। खुर्शीद को नौ मई को बीजिंग जाना है ।

विदेश मंत्री ने कहा कि ‘अभी तक’ उनकी यात्रा पर पुनर्विचार नहीं हुआ है लेकिन ‘वह कल क्या होगा इस बारे में आज कोई अनुमान नहीं लगा सकता है।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत चाहता है कि चीनी सेना उस स्थान पर वापस लौट जाए, जहां वह लद्दाख में घुसपैठ से पहली थी और वह देपसांग घाटी में यथा स्थिति बनाए रखना चाहता है। चीनी सेना ने लद्दाख क्षेत्र की इस घाटी में घुसपैठ कर अपने खेमे लगाए हुए हैं।

यह पूछने पर कि क्या उनकी बीजिंग यात्रा पर पुनर्विचार किया जा रहा है? खुर्शीद ने कहा, ‘हमने अभी तक पुनर्विचार नहीं किया है। हमें अभी तक यह जरूरी नहीं लगा। हम अभी तक पुनर्विचार तक नहीं पहुंचे हैं।’

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यह पूछने पर कि क्या वह निश्चित तौर पर चीन की यात्रा पर जा रहे हैं? विदेश मंत्री ने जवाब दिया, ‘मानवीय कार्यों के संबंध में उपयोग करने के लिए ‘निश्चित’ अच्छा शब्द नहीं है। कल क्या होगा इस बारे में आज कोई अनुमान नहीं लगा सकता है।’ बार-बार पूछने के बावजूद उन्होंने अपनी बीजिंग यात्रा के संबंध में कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। लेकिन सूत्रों का कहा है कि विभिन्न स्तरों पर चल रही वार्ताओं में कोई प्रगति नहीं होने के कारण यह यात्रा ‘लाभकर नहीं’ होगी।