नई दिल्ली: मुकदमा पूर्व मामला सुलटाने को बढ़ावा देने और अदालती मामलों को घटाने के मकसद से सरकार एक कानून लाने पर विचार कर रही है जिससे कि अदालत के बाहर निपटाए जाने वाले ऐसे मामलों को कानूनी आधार मिलेगा।
अब तक मध्यस्थ प्रक्रिया अमूमन वैवाहिक विवादों को सुलझाने में इस्तेमाल होता है और नये कानून से मुकदमों के अंबार वाले मकान मालिक-किरायेदार और औद्योगिक विवाद जैसे अन्य क्षेत्रों में भी मामला निपटाने को बढ़ावा दिया जाएगा।
कानून मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया है कि नए कानून के जरिए प्रक्रिया को मध्यस्थता पर कानूनी दर्जा मिलना चाहिए।
मंत्रालय के परिकल्पित एक नोट में कहा गया है, ‘‘देश में मध्यस्थता प्रक्रिया को समर्थन करने वाला कानून नहीं है... मध्यस्थता प्रक्रिया को कानूनी समर्थन की कमी से मध्यस्थता को लेकर पक्षों के मन में संदेह बना रहता है। इसलिए कुछ पक्ष औपचारिक प्रक्रिया को अपना सकते हैं।’’