सरकार तीन तलाक और समान नागरिक संहिता पर अल्पसंख्यकों से संवाद की कोशिश में

सरकार तीन तलाक और समान नागरिक संहिता पर अल्पसंख्यकों से संवाद की कोशिश में

मुख्तार अब्बास नकवी (फाइल फोटो)

खास बातें

  • मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कर रहा विधि आयोग के सवालनामे का बहिष्कार
  • नकवी ने कहा, "बिना बातचीत के प्रस्ताव का बहिष्कार करना अलोकतांत्रिक
  • बोर्ड ने कहा- बातचीत को तैयार हैं, बहिष्कार खत्म करने को नहीं
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार अब तीन तलाक और समान नागरिक संहिता को लेकर अल्पसंख्यकों से संवाद की कोशिश में है. एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए अल्पसख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार सबसे बात करेगी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से विधि आयोग के सवालनामे का बहिष्कार खत्म करने की अपील करेगी.

अल्पसंख्यक आयोग के मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी के सामने एक बड़ी चुनौती है. उन्हें एक तरफ तीन तलाक और समान नागरिक संहिता को लेकर सरकार की पहल को आगे बढ़ाना है और दूसरी तरफ अल्पसंख्यकों को भी अपने साथ लेना है. उनकी अपील है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लॉ कमीशन के सवालनामे का बहिष्कार न करें.

एनडीटीवी से खास बातचीत में मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, "बिना बातचीत के प्रस्ताव का बहिष्कार करना अलोकतांत्रिक है. जिन लोगों ने रायशुमारी का बहिष्कार किया है, हमारी उनसे अपील है कि वे बहिष्कार करने के फैसले पर पुनर्विचार करें."

लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है- वह बातचीत को तैयार है, बहिष्कार खत्म करने को नहीं. क्योंकि लॉ कमीशन के सवाल मुस्लिम विरोधी हैं.  मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती एजाज अरशद कासमी ने एनडीटीवी से कहा, "लॉ कमीशन की रायशुमारी की प्रक्रिया का हम बहिष्कार जारी रखेंगे...जो 16 सवाल उन्होंने तैयार किए हैं वे मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने के लिए तैयार किए गए हैं."

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का आरोप है कि लॉ कमीशन ने जो 16 सवाल तैयार किए हैं वे कामन सिविल कोड पर सरकार के दबाव में तैयार किए हैं...ट्रिपिल तलाक पर जिस तरह से सवाल पूछा गया है वह गलत है...और जब तक लॉ कमीशन सवालों को रि-फ्रेम नहीं करता...उनका बहिष्कार जारी रहेगा.

उधर विपक्ष का कहना है कि बीजेपी इस मुद्दे पर अपने फैसले थोपे नहीं और न ही इस पर राजनीति करे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और समाज को इस बारे में खुद फैसला करने देना चाहिए. जबकि कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार इसके जरिए मुस्लिम और हिन्दु समुदायों का आगामी चुनावों से पहले ध्रुवीकरण करना चाहती है.

पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ-साथ राजनीतिक दलों के इस रुख के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या लॉ कमीशन अपने सवालों पर फिर से विचार करेगा? अगर नहीं तो यह टकराव और बढ़ सकता है.


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