यह ख़बर 19 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

पूर्व डीजीपी ने नानावती आयोग के समक्ष हलफनामा दायर किया

खास बातें

  • साल 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान प्रदेश के डीजीपी (खुफिया) आर बी श्रीकुमार ने रविवार को नानावती आयोग के समक्ष हलफनामा दायर किया।
अहमदाबाद:

साल 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान प्रदेश के पुलिस महानिदेशक :डीजीपी खुफिया: आर बी श्रीकुमार ने आज नानावती आयोग के समक्ष हलफनामा दायर किया। उन्होंने प्रसिद्ध नृत्यांगना मल्लिका साराभाई की ओर से दायर जनहित याचिका के मामले में राज्य सरकार की कथित भूमिका के संबंध में हलफनामा दायर किया। निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने मई में आयोग के समक्ष गवाही दी थी कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने साराभाई द्वारा उच्चतम न्यायालय में 2002 में दायर जनहित याचिका के मामले में कार्यवाही को कमजोर करने की कोशिश की थी। साल 2002 में राज्य खुफिया ब्यूरो :एसआईबी: के प्रमुख रहे श्रीकुमार ने कहा, भट्ट के बयान और साराभाई द्वारा आयोग से किए गए अनुरोध के आधार पर मुझसे राज्य सरकार की भूमिका के बारे में एक हलफनामा दायर करने को कहा गया था। गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान श्रीकुमार भट्ट के वरिष्ठ अधिकारी थे। गवाही के दौरान भट्ट से पूछा गया था कि क्या किसी सरकारी पदाधिकारी ने दंगों के संबंध में साराभाई की ओर से दायर याचिका के मामले में कार्यवाही को कमजोर करने का प्रयास किया था तो इसपर उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा करने का प्रयास किया था। भट्ट को गत आठ अगस्त को राज्य सरकार ने कदाचार और अन्य आधारों पर निलंबित कर दिया था। भट्ट ने नरेंद्र मोदी पर गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।


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