फोर्ड फाउन्डेशन को लेकर गुजरात सरकार का दोहरा रवैया?

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

गुजरात दंगा पीड़ि‍तों के लिए काम कर रही तीस्ता सीतलवाड की संस्था सबरंग को फंड देने को लेकर पिछले कई दिनों से विवाद चल रहा है। तीस्ता सीतलवाड की संस्था को अमेरिका की फोर्ड फाउन्डेशन से आर्थिक सहायता मिली थी।

तीस्ता सीतलवाड पर फंड के दुरुपयोग के आरोपों को लेकर पिछले कुछ महीनों से अहमदाबाद की क्राइम ब्रान्च जांच कर रही थी। अभी कुछ दिन पहले इस जांच के आधार पर गुजरात सरकार ने केन्द्र के गृह विभाग को एक चिट्ठी लिखी थी और ये आरोप लगाया था कि फोर्ड फाउन्डेशन का रवैया इस मामले में ठीक नहीं था।

इस चीट्ठी में गुजरात सरकार ने कहा था कि फोर्ड फाउन्डेशन ने इस संस्था को फंड देते समय नियमों का पालन नहीं किया है और फोर्ड फाउन्डेशन गुजरात में सांप्रदायिकता बढ़ाने के लिए हो रहे काम को सहायता दे रहा है। उस पर एक धर्म को बढ़ावा देने और गुजरात सरकार के खिलाफ काम करने के भी आरोप लगे हैं।

लेकिन अब चौंकाने वाला तथ्य ये सामने आया है कि फोर्ड फाउन्डेशन ने सिर्फ तीस्ता सीतलवाड की संस्थाओं को ही नहीं लेकिन गुजरात सरकार की संस्थाओं को अपने प्रोजेक्ट्स के लिए फंड दिए हैं।

2002 में गुजरात सरकार की गुजरात इकोलॉजी एन्ड रिसर्च फाउन्डेशन (गीर फाउन्डेशन) को गुजरात में सामूहिक रूप से जंगल के संरक्षण के प्रोजेक्ट के लिए फोर्ड फाउन्डेशन ने करीब 1.22 लाख अमेरिकी डॉलर की सहायता दी थी। फिर 2007 में गुजरात सरकार की गुजरात इकोलॉजी कमीशन और इस्राइल की एक संस्था के बीच समझौते से बनी गुजरात इन्स्टीट्युट ऑफ डेजर्ट इकोलॉजी को रेगि‍स्तानी इलाकों में काम के लिए करीब 1.76 लाख अमेरिकी जोलर की सहायता दी गई थी।

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गुजरात सरकार इस मुद्दे पर चुप है लेकिन मानव अधिकार कार्यकर्ता इसे गुजरात सरकार का दोहरा मानदंड बता रहे हैं। उनका आरोप है कि एक तरफ तो गुजरात सरकार खुद भी इसी फोर्ड फाउन्डेशन से अनुदान लेती रही है और दूसरी ओर मानव अधिकार संस्थाओं को दिए गए पैसे को लेकर उस पर दबाव बनाने की राजनीति हो रही है।