राजनीति और धर्म के 'कॉकटेल' से राम रहीम बना 'बलवान'

हरियाणा और पंजाब में पिछले दो दशक की राजनीति पर गौर करने पर पता चलता है कि गुरमीत राम रहीम ने अपने समर्थकों के बल पर राजनीति में सीधी दखल दे रहा था.

राजनीति और धर्म के 'कॉकटेल' से राम रहीम बना 'बलवान'

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का पंजाब और हरियाणा की राजनीति में खास दखल रहा है.

खास बातें

  • पंजाब के मालवा क्षेत्र की 35 सीटों पर डेरा की दखल
  • हरियाणा-पंजाब में अलग-अलग दलों का समर्थन करता रहा है डेरा
  • 2014 के हरियाणा और 2017 के पंजाब चुनाव में बीजेपी को दिया था समर्थन
नई दिल्ली:

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को साध्वी से रेप मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उसके समर्थकों ने हरियाणा, पंजाब सहित पड़ोसी राज्यों में जमकर उत्पात मचाया. टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया पर उपद्रव के तमाम वीडियो देखे गए. पत्रकारों से लेकर पुलिस तक पर राम रहीम के समर्थकों ने लाठी-डंडों के साथ पत्थर से वार किए. वहीं आरोप लगते रहे कि राज्य सरकार के आदेश के बाद भी हाईकोर्ट ने एक्शन लेने में तत्परता नहीं दिखाई. ऐसे में सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्या वजह है कि गुरमीत राम रहीम और उसके समर्थकों की हिम्मत इतनी कैसे बढ़ गई? आइए समझने की कोशिश करते हैं कि राम रहीम इतना पावरफुल कैसे बना?

ये भी पढ़ें: इधर गुरमीत राम रहीम को कोर्ट ने दोषी करार दिया, उधर समर्थकों ने बरपाया कहर, 30 की मौत- 10 बातें

प्रत्याशियों की हार-जीत तय करता है राम रहीम: हरियाणा और पंजाब में पिछले दो दशक की राजनीति पर गौर करने पर पता चलता है कि गुरमीत राम रहीम ने अपने समर्थकों के बल पर राजनीति में सीधी दखल दे रहा था. पंजाब के मालवा क्षेत्र में राम रहीम के समर्थकों की संख्या बल इतनी अधिक है कि उसी से हार-जीत तय होती है. आलम यह रहा है कि इस इलाके में विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के चुनाव में भी राम रहीम के डेरा की चलती है. 

ये भी पढ़ें: राम रहीम जैसे लोगों को ताक़तवर बनाने में किसका हाथ है? राजनेताओं का, भक्तों का या फिर...

मालवा की 35 सीटों पर डेरा की तूती: पंजाब विधानसभा में 117 सीटें हैं, जिसमें से 35 मालवा और इसके आस-पास के इलाकों की हैं. जानकार कहते हैं कि इन 35 सीटों पर डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी निर्णायक भूमिका में होते हैं. डेरा प्रमुख के एक इशारे पर अनुयायी किसी खास उम्मीदवार को ज्यादातर वोट मिल जाते हैं. 

ये भी पढ़ें: गुरमीत राम रहीम के जेल पहुंचने के बाद हिंसा से उबर रहा सिरसा, पुलिस ने कहा- हालात काबू में

साल 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो विभिन्न दलों के 44 उम्मीदवार गुरमीत राम रहीम से मिलने पहुंचे थे और उससे समर्थन की गुजारिश की थी. 

ये भी पढ़ें: पंजाब-हरियाणा में बसे दक्षिण भारत के लोग भयभीत, केरल के सीएम ने पीएम मोदी को पत्र लिखा

राजनीति हालात देखकर पाला बदलता रहा है राम रहीम: गुरमीत राम रहीम पंजाब और हरियाणा में साल 2002 से लेकर हालिया चुनाव तक अलग-अलग पार्टियों को सपोर्ट करता रहा है. यूं कहें कि राम रहीम राजनीति हवा को भांपकर डेरा के समर्थन का ऐलान करता है. डेरा ने 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन कर दिया था. उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई में सरकार थी, शायद इसी वजह से उसने हुड्डा का समर्थन किया था. लेकिन पंजाब में अकाली-बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी थी. 

ये भी पढ़ें: पुलिस का दावा : डेरा के सभी समर्थक पंचकूला से बाहर किए गए, 550 लोग हिरासत में

इसी प्रकार 2017 में डेरा ने अकाली दल को समर्थन दिया, लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी। पंजाब में डेरा के दांव उल्टा पड़ते रहे हैं, लेकिन हरियाणा में उसकी ताकत लगातार बढ़ती रही है. 

VIDEO: कानून व्यवस्था को लेकर खट्टर सरकार फिर नाकाम


केंद्र में यूपीए के दौर में गुरमीत राम रहीम ने कांग्रेस और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी थे तो 2014 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के पाले में चले गए.


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com