सामाजिक कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री तक का सफर, कुछ ऐसा रहा करियर केजरीवाल का

16 अगस्त 1968 को जन्में अरविंद केजरीवाल एक ऐसे शख्स के रूप में जाने जाते हैं, जिसने पढ़ाई, प्रशासन, सामाजिक कार्य से लेकर राजनीतिक की पिच पर ताबड़तोड़ बैटिंग की.

सामाजिक कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री तक का सफर, कुछ ऐसा रहा करियर केजरीवाल का

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल.

खास बातें

  • अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार में हुआ
  • बचपन से पढ़ाई में मेधावी अरविंद केजरीवाल नौकरी छोड़ राजनीति में आए
  • आरटीआई से जरिए इन्होंने देश के कई छोटे-बड़े घोटालों का किया पर्दाफाश
नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल का आज जन्मदिन है. 16 अगस्त 1968 को जन्में अरविंद केजरीवाल एक ऐसे शख्स के रूप में जाने जाते हैं, जिसने पढ़ाई, प्रशासन, सामाजिक कार्य से लेकर राजनीतिक की पिच पर ताबड़तोड़ बैटिंग की. प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अरविंद केजरीवाल ने महज दो साल में दिल्ली की सत्ता हासिल कर ली. विपक्ष पर तीखे शब्दों में हमले और खुद को आम इंसान के रूप में पेश करने की अपनी कला के दम पर उन्होंने जनता का भरोसा हासिल कर सबको चौंका चुके हैं. हालांकि पंजाब, गोवा विधानसभा और दिल्ली नगर निगम चुनाव में हार के बाद से उन्होंने मीडिया से थोड़ी दूरी बना ली है. हर रोज विरोधियों पर तीखे वार करने के बजाय चुपचाप दिल्ली की जनता के लिए काम करने में जुटने का दावा कर रहे हैं. आइए इस शख्स के अब तक के जीवन सफर पर एक नजर डालते हैं. 

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  1. हरियाणा के हिसार में जन्में अरविंद केजरीवाल ने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की. 1992 में वह  भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त हुए.
  2. जनवरी 2000 में केजरीवाल ने दिल्ली आधारित एक नागरिक आंदोलन 'परिवर्तन' की शुरुआत की. परिवर्तन के जरिए उन्होंने दिल्ली की सरकार में पारदर्शिता लाने की कोशिश की. फरवरी 2006 में, उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ 'परिवर्तन' में ही काम करने लगे. 
  3. अरविंद केजरीवाल सहित दूसरे समाजसेवियों के दबाव के चलते दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया और अंत में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया.
  4. सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई)  मिलने के बाद केजरीवाल ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया और कई घोटालों को जनता के सामने लाने में सफल रहे. 
  5. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए अरविंद केजरीवाल ने गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ मिलकर 2011 में बड़ा आंदोलन किया. केजरीवाल देश में लोकपाल लाने की मांग कर रहे थे. इस आंदोलन के दौरान केजरीवाल ने अन्ना की तरह अनशन भी किया.
  6. केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद भी लोकपाल नहीं आने पर 2 अक्टूबर 2012 को अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी। उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना की.arvind kejriwal
  7. 2013  के दिल्ली विधान सभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया. खुद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट पर तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 25864 मतों से हराया। केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली में सरकार का गठन किया. 
  8. वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री बनते ही पहले तो उन्होंने सिक्योरिटी वापस लौटायी. बिजली और पानी की दरों में 50 फीसदी की कटौती की. हालांकि दिल्ली विधानसभा में लोकपाल बिल नहीं पास करा पाने के चलते महज 49 दिनों में सत्ता को छोड़ दिया. 
  9. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा. केजरीवाल खुद वाराणसी से हारे और पंजाब छोड़कर देश के सभी हिस्सों में आप के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. 
  10. साल 2015 में पूरी तरह से बीजेपी और नरेंद्र मोदी की लहर के बाद भी अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. 70 सीटों वाली विधानसभा में केजरीवाल की पार्टी ने 67 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया. हालांकि कई मुद्दों पर केंद्र सरकार के टकराव के चलते वे अक्सर विवादों में घिरे रहे.
  11. केजरीवाल राजनीति से ज्यादा सामाजिक कार्यों में सफल माने जाते हैं. उन्हें सामाजिक कार्यों में योगदान के लिए रमन मेगसेसे अवार्ड मिल चुका है. प्रतिष्ठित 'टाइम' मैगजीन ने इन्हें विश्व के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति की सूची में जगह दी है.
वीडियो: बवाना विधानसभा उपचुनाव बना केजरीवाल की प्रतिष्ठा का सवाल

 

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