हाशिमपुरा नरसंहार: 11 दोषी जवानों ने किया सरेंडर, 4 ने अभी तक नहीं किया, नाराज कोर्ट ने जारी किए गैर जमानती वारंट

नाराज कोर्ट ने इन चार दोषी जवानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. इसके साथ ही दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने चार दोषी पीएसी जवानों की जमानत लेने वाले जमानती को भी नोटिस जारी किया है.

हाशिमपुरा नरसंहार: 11 दोषी जवानों ने किया सरेंडर, 4 ने अभी तक नहीं किया, नाराज कोर्ट ने जारी किए गैर जमानती वारंट

पीड़ित की तस्वीर.

खास बातें

  • 16 में से चार जवानों ने नहीं किया सरेंडर
  • अगली सुनवाई 19 दिसंबर को.
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने पलट दिया था फैसला
नई दिल्ली:

हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दोषी पाए गए 16 में से चार पीएसी जवानों ने अभी तक सरेंडर नहीं किया है. इससे नाराज कोर्ट ने इन चार दोषी जवानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. इसके साथ ही दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने चार दोषी पीएसी जवानों की जमानत लेने वाले जमानती को भी नोटिस जारी कर दिया. दोषी करार दिए गए 16 जवानों में से एक की मौत हो गई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में पीएसी के इन 16 जवानों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इनमें से एक जवान कमल सिंह की मौत हो चुकी है.

इस मामले में सरेंडर न करने वाले पीएसी जवान रामवीर सिंह, बुद्धि सिंह, लीला धर और बसन्त बल्लभ हैं. गाजियाबाद के एसएचओ ने कोर्ट ने सभी दोषियों को अरेस्ट करने के लिए 15 दिन का समय मांगा है. कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 19 दिसंबर को करेगा. 

हाशिमपुरा कांड : दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट के फैसले को पलटा, 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा

दरअसल मेरठ के हाशिमपुरा कांड में 2 मई 1987 को 42 युवकों की हत्या के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट के फैसले को 31 अक्टूबर को पलट दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाइकोर्ट ने सभी को हत्या, अपहरण,साक्ष्यों को मिटाने का दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी. तीस हज़ारी कोर्ट ने साल 2015 में आरोपी में सभी जवानों को बरी कर दिया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट में मारे गए मुस्लिम युवकों के परिवारों की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य की तरफ से याचिका दायर की गयी थी.

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बता दें, साल 1987 में रिजर्व पुलिस बल प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्‍स्टेबुलरी (PAC) के जवानों ने 42 मुस्लिम युवकों को कथित तौर पर उनके घरों से उठाया और पास ही ले जाकर उनकी हत्या कर दी. 28 साल के बाद 2015 में दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट ने इस मामले पर फैसला आया था, लेकिन इतने लंबे समय बीत जाने के बाद दिल्ली की निचली अदालत ने इस मामले में सभी आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था. सबसे पहले ये मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में चल रहा था लेकिन सुनवाई में देरी की वजह से मारे गए लोगों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में मामला ट्रांसफर हो गया था. 

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