कन्हैया कुमार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि उनका आदर्श अफजल गुरु नहीं, रोहित वेमुला है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देशद्रोही होने और सरकार का विरोधी होने में बहुत बड़ा फर्क होता है।
जेएनयू में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कन्हैया ने कई पेचीदा सवालों के जवाब कुशलता से दिए। उनसे मुख्यधारा की राजनीति में उनके शामिल होने की अटकलों पर भी सवाल किए गए थे।
जेएनयू की ‘‘छवि खराब करने’’ के लिए मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कन्हैया ने कहा कि राष्ट्रवाद को अपनी जागीर समझने की कोशिशों को मात दिया जाना जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देशद्रोही होने और सरकार का विरोधी होने में बहुत बड़ा फर्क होता है।
9 फरवरी को जो हुआ उसकी निंदा करता हूं
उन्होंने कहा, ‘‘नौ फरवरी को जो कुछ हुआ, हम उसकी कठोर निंदा करते हैं। यह फैसला अदालत करेगी कि वह ‘राजद्रोह’ था या नहीं। लेकिन मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह छात्रों का भविष्य बर्बाद करने के लिए देशद्रोह के गंभीर आरोप का इस्तेमाल न करे।’’ कन्हैया ने कहा, ‘‘मैं भारत का नागरिक हूं, आतंकवादी नहीं।’’
अफजल गुरु मेरा आदर्श नहीं
अफजल गुरु पर पूछे गए कई सवालों के जवाब में कन्हैया ने कहा, ‘‘यदि आप मुझसे सवाल करेंगे तो अफजल गुरु मेरा आदर्श नहीं है। रोहित वेमुला मेरा आदर्श है।’’ गौरतलब है कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचसीयू) के दलित छात्र रोहित ने खुदकुशी कर ली थी। कन्हैया ने कहा, ‘‘मेरे लिए अफजल गुरु देश का एक नागरिक था जिसे कानून के तहत सजा दी गई। सजा गलत थी या सही थी, कोई भी इस पर बहस कर सकता है क्योंकि कानून इसकी इजाजत देता है।’’
करदाताओं का पैसा सही जगह लग रहा है
29 साल के कन्हैया ने कहा, ‘‘मेरा काम पढ़ना है और उनके लिए लड़ना है जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन पढ़ नहीं पाते हैं। लड़ाई लंबी होने की वजह से इस पर कोई जीत का मार्च नहीं बल्कि एकता मार्च हो सकता है।’’ जेएनयू को संचालित करने में करदाताओं के पैसे बर्बाद होने की टिप्पणियों पर कन्हैया ने कहा, ‘‘मैं देश के लोगों को बताना चाहता हूं कि उनका पैसा बिल्कुल सही जगह पर निवेश किया जा रहा है।’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रवाद का पेटेंट कराने और एबीवीपी एवं समाज के एक तबके की ओर से प्रचारित अखंड भारत की अवधारणा के खिलाफ हूं।’’
गौरतलब है कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ नौ फरवरी को जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए गए थे। इसी सिलसिले में कन्हैया और दो अन्य छात्रों को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से बीते दो मार्च को छह महीने की अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद कन्हैया गुरुवार को जेल से रिहा हुए थे। बाकी दो छात्र - उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य - अब भी न्यायिक हिरासत में हैं।
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