यह ख़बर 23 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

शिकायत करने वालों को मिलेगी सजा : हज़ारे पक्ष

खास बातें

  • जांच शुरू होने से पहले ही नौकरशाह नागरिकों के खिलाफ विशेष अदालत में सीधे जवाबी शिकायत दाखिल करा सकते हैं।
नई दिल्ली:

गांधीवादी अन्ना हज़ारे पक्ष ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि लोकपाल विधेयक के अपने मसौदे में सरकार ने ऐसे प्रावधान किए हैं, जिसके तहत भ्रष्ट नौकरशाहों के बजाय भ्रष्टाचार की शिकायत करने वालों को सख्त सजा मिलेगी। हज़ारे पक्ष ने सरकार के मसौदे के उन प्रावधानों को भी अनुचित करार दिया, जिनके जरिये महज कुछ हजार नौकरशाह ही लोकपाल के दायरे में आयेंगे और जिनके तहत भ्रष्टाचार के आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज होने और आरोप पत्र दाखिल होने से पहले दो बार उनका पक्ष सुना जा सकेगा। लोकपाल मसौदा संयुक्त समिति में समाज की ओर से शामिल रहे सदस्यों ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, जांच शुरू होने से पहले ही नौकरशाह नागरिकों के खिलाफ विशेष अदालत में सीधे जवाबी शिकायत दाखिल करा सकते हैं। शिकायतकर्ताओं के खिलाफ यह जवाबी शिकायत किसी भी एजेंसी द्वारा शुरुआती जांच के बिना दाखिल हो सकती है। वक्तव्य के अनुसार, केंद्र के मसौदे के तहत सरकार मुकदमा दायर करने के लिए नौकरशाहों को नि:शुल्क वकील भी मुहैया करा सकती है, लेकिन नागरिकों को खुद ही अपना बचाव करना होगा। हज़ारे पक्ष ने कहा कि भ्रष्ट सरकारी नौकरशाहों के बजाय शिकायतकर्ताओं के लिए कड़ी सजा के प्रावधान हैं। अगर कोई विशेष अदालत यह कहती है कि शिकायत गलत है तो नागरिकों को कम से कम दो वर्ष की सजा हो सकती है। लेकिन अगर किसी नौकरशाह के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो जाता है तो उसे सिर्फ छह ही महीने की सजा होगी। हज़ारे पक्ष ने दलील दी कि लोकपाल विधेयक का सरकार का मसौदा अगर स्वीकृत हो गया तो उसके अधिकार क्षेत्र में तो महज 0.5 फीसदी सरकारी कर्मचारी आएंगे, लेकिन 100 फीसदी गैर-सरकारी संगठन उसके दायरे में आ जाएंगे। वक्तव्य के अनुसार, सरकार का कहना है कि अगर सभी स्तर के नौकरशाहों को जांच के दायरे में लाया गया तो लोकपाल अत्यधिक मामलों के बोझ तले दब जायेगा। लिहाजा, सरकार ने अपने मसौदे में लोकपाल के दायरे में समूह ए के महज 65,000 कर्मचारियों को ही रखा है। इसके चलते केंद्र के शेष 40 लाख और राज्य के 80 लाख कर्मचारी लोकपाल के दायरे से बाहर रहेंगे। हज़ारे पक्ष ने कहा कि सरकार के मसौदे के तहत लोकपाल के दायरे में सभी तरह के गैर-सरकारी संगठन आएंगे, फिर चाहे वे बड़े हों या छोटे और चाहे राज्यों में हों या राष्ट्रीय राजधानी में। यहां तक सरकार गांवों में मौजूद अपंजीकृत समूहों को भी लोकपाल के दायरे में रखना चाहती है। वक्तव्य कहता है कि देश में 4.3 लाख पंजीकृत गैर-सरकारी संगठन हैं। लेकिन लाखों अपंजीकृत संगठन भी हैं। सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में सभी तरह के गैर-सरकारी संगठन आ जाएंगे। वक्तव्य में कहा गया कि सरकार के मसौदे के तहत दिल्ली के सभी रेजीडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन तो लोकपाल के दायरे में आ जाएंगे लेकिन दिल्ली सरकार के अधिकारी उसके दायरे में नहीं रहेंगे। यहां तक कि रामलीला और दुर्गा पूजा के लिये चंदा जुटाने वाले समूह भी लोकपाल के दायरे में रहेंगे।


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