SP-BSP गठबंधन में दरार के बीच मायावती का बड़ा बयान- अखिलेश तो डिंपल को भी नहीं जीत दिला पाए, क्योंकि...

मायावती (Mayawati) ने टिप्पणी की कि अखिलेश अपनी पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) तक को नहीं जिता पाए. बता दें कि डिंपल यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ा था और बीजेपी (BJP) से हार गईं.

SP-BSP गठबंधन में दरार के बीच मायावती का बड़ा बयान- अखिलेश तो डिंपल को भी नहीं जीत दिला पाए, क्योंकि...

बसपा प्रमुख मायावती के साथ डिंपल यादव. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • 11 सीटों पर उपचुनाव अकेले लड़ेगी BSP
  • मायावती ने कहा- गठबंधन से नहीं हुआ फ़ायदा
  • 'यादव वोट हमें नहीं मिला, हमारा वोट सपा को मिला'
नई दिल्ली:

यूपी में बना महागठबंधन लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections) में अपने लक्ष्य पाने में नाकाम रहा और उसके बाद अब वह टूटता नज़र आ रहा है. दिल्ली में कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक में मायावती (Mayawati) ने साफ कर दिया कि विधानसभा की 11 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में BSP अकेले लड़ेगी. वैसे ये भी एक नया चलन है, क्योंकि बीएसपी (BSP) आमतौर पर उपचुनाव लड़ने से अबतक परहेज करती रही है, लेकिन आज की बैठक में मायावती (Mayawati) ने जो कुछ कहा, उससे साफ है कि वो नई राजनीतिक लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रही हैं और गठबंधन उनके लिए अप्रासंगिक हो रहा है. उधर बसपा प्रमुख मायावती ने बैठक में यह भी टिप्पणी की कि अखिलेश अपनी पत्नी डिंपल तक को नहीं जिता पाए. बता दें कि डिंपल यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ा था. दो बार की सांसद डिंपल यादव अपनी कन्नौज सीट भाजपा से हार गईं. उन्होंने कहा कि कन्नौज में यादव वोट नहीं मिले, हमारे पूरे वोट डिंपल को मिले. मायावती ने कहा कि परिणाम ने साफ संकेत दिया कि यादव समुदाय ने डिंपल यादव को वोट देने की बजाय भाजपा प्रत्याशी का समर्थन किया.

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कन्नौज की हार समाजवादी पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका है. समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने इसे 1967 में जीता था. अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने 1999 में चुनाव लड़ा और 2000 में अखिलेश यादव को चुनाव मैदान में उतारा. अखिलेश यादव ने 2012 में तब तक सीट संभाली जब वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए. इसके बाद हुए उपचुनावों में, डिंपल निर्विरोध जीतीं थीं. 

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मायावती ने कहा कि गठबंधन 'बेकार' था. उन्होंने कहा कि, 'यादव वोट हमें नहीं मिले, लेकिन हमारे वोट उनके पास गए. बसपा प्रमुख ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने केवल वहीं चुनाव जीता, जहां मुसलमानों ने उनके लिए भारी मतदान किया. यहां तक कि अखिलेश यादव का परिवार भी यादव वोटों को अपनी ओर नहीं खींच पाया. 

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बता दें कि इसी साल जनवरी में उत्तर प्रदेश की राजनीति के दो कट्टर प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने मिलकर आम चुनाव लड़ने का ऐतिहासिक फैसला लिया था, लेकिन चुनाव में इस गठबंधन को उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली. बसपा के खाते में 10 सीटें आईं, जबकि सपा को 5 सीट से ही संतोष करना पड़ा. हालांकि गठबंधन तोड़ने का ऐलान अभी तक बसपा प्रमुख मायावती ने औपचारिक रूप से नहीं किया है.

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VIDEO: यूपी में 11 सीटों पर अकेले ही उप-चुनाव लड़ेंगी मायावती