दहेज प्रताड़ना में सीधी गिरफ्तारी पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित

दहेज प्रताड़ना केस में सीधी गिरफ्तारी पर रोक के दो जजों की बेंच के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई

दहेज प्रताड़ना में सीधी गिरफ्तारी पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट.

खास बातें

  • चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें तीन पहलुओं पर विचार करना है
  • केंद्र ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का जुलाई का फैसला व्यवहारिक नहीं
  • दहेज उत्पीड़न में परिवार के सभी सदस्यों की तत्काल गिरफ्तारी पर है रोक
नई दिल्ली:

498 A दहेज प्रताड़ना केस में सीधे गिरफ्तारी पर रोक के दो जजों की बेंच के फैसले को पलटा जाए या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है. 

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि हमें तीन पहलुओं पर विचार करना है. पहला क्या दो जजों की बेंच ने गाइडलाइन जारी कर कानून के खालीपन को भरा है? दूसरा क्या बेंच का अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर ये फैसला देना सही है? और तीसरा क्या इस फैसले ने 498A के प्रावधानों को कमजोर किया? वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG नरसिंहन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जुलाई का फैसला व्यवहारिक नहीं है और इसे लागू करना मुश्किल है. 

पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस ने कहा था कि इस पर फिर से गौर किया जाएगा. दहेज उत्पीड़न  498 A के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा था इस मामले में गाइड लाइन कैसे बना सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 498A यानी दहेज उत्पीड़न को लेकर कानून पहले से ही है ऐसे में जांच कैसे की जाए इसको लेकर गाइडलाइन बनाने का आदेश कैसे दे सकते हैं? दहेज़ उत्पीड़न के मामले में जांच कैसे की जाएगी ये जांच एजेंसी कानून के हिसाब से तय करेगी. 

सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें दहेज़ उत्पीड़न के मामलों में तत्काल गिरफ़्तारी पर रोक के सुप्रीम के फ़ैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है. गैर सरकारी संगठन न्यायधर का कहना है कि इससे महिलाओं को परेशानी हो रही है और फैसले के बाद कोई शिकायत नहीं आ रही है. 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि दहेज उत्पीड़न को लेकर परिवार के सभी सदस्यों की तत्काल गिरफ्तारी न हो. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है और विचार कर रही है कि यह लागू कैसे किया जाए और इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है दहेज़ उत्पीड़न के मामलों पर. 

मानव अधिकार मंच नाम के NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि कोर्ट को उस संबंध में दूसरी गाइड लाइन बनाने की जरूरत है क्योंकि कोर्ट के फैसले के बाद दहेज उत्पीड़न का कानून कमजोर हुआ है. याचिका में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2012 से 2015 के बीच 32,000 महिलाओं की मौत की वजह दहेज उत्पीड़न था. 

पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आईपीसी की धारा-498 ए यानी दहेज प्रताड़ना मामले में गिरफ्तारी सीधे नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दहेज प्रताड़ना मामले को देखने के लिए हर जिले में एक परिवार कल्याण समिति बनाई जाए और समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही गिरफ्तारी होनी चाहिए उससे पहले नहीं.


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