गृह मंत्रालय ने केजरीवाल सरकार के एक और फैसले को पलटा, होम सेक्रेटरी को हटाने का फैसला रद्द

अरविंद केजरीवाल की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

केंद्रीय गृहमंत्रालय ने दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें उप-राज्यपाल ने अरविंद केजरीवाल सरकार में होम सेक्रेटरी धर्मपाल के तबादले को रद्द कर दिया था।

गृहमंत्रालय ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास धर्मपाल को पद से हटाने का अधिकार नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि ऑल इंडिया ज्वाइंट सर्विसेज कैडर रूल्स के मुताबिक, सिर्फ गृह मंत्रालय ही दिल्ली के होम सेक्रेटरी को पद से हटा सकता है।

गौरतलब है कि धर्मपाल ने दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर एमके मीणा को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के प्रमुख के रूप में नियुक्त किए जाने से संबंधित नोटिफिकेशन पर हस्ताक्षर किया था। इस पर केजरीवाल सरकार ने होम सेक्रेटरी धर्मपाल को गृहसचिव के पद से हटाकर गृहमंत्रालय को वापस लौटाने का आदेश जारी कर दिया था और नए एसीबी चीफ एमके मीणा को भी ज्वाइन करने से रोक दिया था।

बुधवार को राज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के होम सेक्रेटरी धर्मपाल के तबादले को खारिज कर दिया था और कहा कि धर्मपाल और मीणा दोनों अपने पद पर बने रहेंगे।

गृह मंत्रालय के आदेश के जवाब में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने गृह मंत्रालय और एलजी को चिट्ठी लिखी और कहा कि गृह सचिव धर्मपाल को दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृहमंत्रालय को सरेंडर किया है, जो दिल्ली सरकार का अधिकार है।

चिट्ठी में कहा गया है कि राजेंद्र कुमार को गृह मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, जो सरकार का अधिकार और साथ ही जब भी सरकार रेगुलर गृह सचिव की नियुक्ति के लिए गृह मंत्रालय को विश्वास में लेकर ही नियुक्ति करेगी।

मोदी और केजरीवाल सरकार की इस ज़बरदस्त खींचतान के बीच वैसे एक उम्मीद की किरण दिख रही है।

खबर है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को दिल्ली सरकार में भेजने पर एनओसी देने के लिए कहा है।

आपको बता दें कि संजीव चतुर्वेदी वह पहले अफसर हैं, जिनको केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में सरकार बनते ही सबसे पहले केंद्र से मांगा था, क्योंकि खुद अरविन्द केजरीवाल उनको अपनी टीम का हिस्सा बनाना चाहते थे, लेकिन आज चार महीने हो गए यह मामला सरकारी फाइलों में घूम रहा है।

हालांकि संजीव चतुर्वेदी को दिल्ली सरकार में भेजने पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन अगर ऐसा हो जाता है तो केंद्र और दिल्ली सरकार के रिश्तों में तल्खी कुछ कम हो सकती है और दिल्ली सरकार भी अपने हाल के कुछ फैसलों पर विचार कर सकती है।

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क्योंकि अब यही तरीका रह गया, जिससे मामला कुछ सुलझ जाए वरना तो जब कोर्ट में सुनवाई की तारीख आएगी तभी कोर्ट कोई फैसला ले सकता है, वरना जैसा चल रहा है चलता रहेगा।