शाही दंपति के काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से निकलने के घंटों बाद एक और गेंडा मारा गया...

शाही दंपति के काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से निकलने के घंटों बाद एक और गेंडा मारा गया...

भूटान जाने से पहले शाही दंपत्ति ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया था (पीटीआई फोटो)

गुवाहाटी:

अभी इंग्लैंड के भावी राजा विलियम और उनकी पत्नी राजकुमारी केट मिडलटन को काज़ीरंगा नेशनल पार्क से गए कुछ घंटे ही गुज़रे थे कि शिकारियों ने एके 47 से एक गेंडे को मार गिराया। गौरतलब है कि शाही दंपति के आने से दो दिन पहले भी शिकारियों ने एक मादा गेंडे को निशाना बनाया था। दोनों ही जानवरों के सींग को बेरहमी से अलग कर दिया गया है।

वन अधिकारियों का कहना है कि बुधवार की रात 11 बजकर 10 मिनट पर उन्हें गोलियों की आवाज़ सुनाई दी। इससे कुछ घंटे पहले ही शाही दंपत्ति ने सुरक्षा इंतजाम के बीच खुली जीप में पार्क का दौरा किया था। बताया गया कि गेंडे के शव के पास से एके 47 से चलाए गए 88 कारतूस बरामद किए गए हैं।

मंगलवार की सुबह भूटान निकलने से पहले प्रिंस विलियम और केट मिडिलटन जिस रिवर लॉज में ठहरे थे वहां से 30 किमो दूर गेंडे को मार दिया गया था। अपनी इस यात्रा के दौरान शाही दंपत्ति ने गांव वालों और वन अधिकारियों से अवैध शिकार को रोकने के तरीकों पर चर्चा की थी। साथ ही प्रिंस विलियम ने अधिकारियों से जानवरों की सुरक्षा के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बात की थी।

आखिरी 2400 गेंडे
काज़ीरंगा पार्क को यूनेस्को द्वारा धरोहर स्थल घोषित किया गया है और यहां एक सींग वाले गेंडे सबसे ज्यादा संख्या में मौजूद हैं - हालांकि इन गेंडों की संख्‍या मात्र ही 2400 बची है। बताया जाता है कि इनके सींगों की कई मिलियन डॉलर के लिए तस्करी की जाती है।

इस साल शिकारियों ने छह गेंडों का मार गिराया जिस दौरान इन जानवरों को असहनशील दर्द से होकर गुजरना पड़ा। मारे गए गेंडों का सालों से पोस्ट मॉर्टम कर रहे जानवरों के एक सर्जन ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा 'कई बार देखा गया है कि जब इनके सींग अलग किए जाते हैं तब इनकी खोपड़ी में भी फ्रैक्चर हो जाता है। इसका मतलब है कि गेंडे के आखिरी कुछ घंटे ऐसे दर्द में बीतते हैं जिसकी कल्पना भी आप या हम नहीं कर सकते।'

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पिछले कुछ सालों से असम सरकार ने काज़ीरंगा के गेंडों की सुरक्षा के लिए विशेष फोर्स रखने की बात कही है ताकि अत्याधुनिक हथियारों से शिकारियों का सामना किया जा सके। इसके अलावा ड्रोन के जरिए राष्ट्रीय उद्यान पर नज़र रखने की बात भी कही जा रही है।