कैसे बीएसएफ के शहीदों शुभेंदु राय और रॉकी ने पाकिस्तानी आतंकियों से लिया लोहा

कैसे बीएसएफ के शहीदों शुभेंदु राय और रॉकी ने पाकिस्तानी आतंकियों से लिया लोहा

शहीदों की तस्वीर

नई दिल्ली:

जम्मू में उधमपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर बनिहाल सुरंग के दक्षिण में हाइवे के एक मोड़ पर जिस समय दो पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया, उस वक्त बीएसएफ के कांस्टेबल शुभेंदु राय बस चला रहे थे और उसमें 30 बीएसएफ कर्मी सवार थे।

जब एक आतंकी ने पहाड़ी के ऊपर पोजीशन ले ली और गोलियां चलाने लगा। इसी दौरान दूसरे आतंकवादी ने बस के सामने आकर अंधाधु्ंध फायरिंग शुरू कर दी है।

कांस्टेबल राय घायल हो गए, लेकिन उन्होंने आतंकवादी को बस में चढ़ने से रोक दिया। बाद में इस आतंकवादी की पहचान पाकिस्तान से आए नोमान के रूप में हुई। बीएसएफ का कहना है कि घायल कांस्टेबल ड्राइवर के दरवाजे पर डटा रहा, ताकि आतंकवादी बस में न घुस पाएं।

इसके बाद नोमान ने बस के चारों तरफ चक्कर काटा और पीछे और साइडों में अपनी एके-47 राइफल से गोलियां दागीं। इसके बाद उसने एक अन्य दरवाजे से भी बस में घुसने की कोशिश की। उस समय बस की बाईं ओर के अगले दरवाजे पर बैठे कांस्टेबल रॉकी ने नोमान को अपनी INSAS राइफल के जरिये रोक कर रखा।

बीएसएफ के मुताबिक, नोमान गोलियों का शिकार होकर गिर पड़ा, लेकिन उससे पहले बस के दरवाजे के पास एक ग्रेनेड फेंकने में कामयाब हो गया।

कांस्टेबल रॉय और रॉकी की मौत गोलियों के जख्मों की वजह से हो गई, लेकिन वे बहुत भारी नुकसान होने से बचाने में कामयाब रहे।
एक अन्य जवान भी सिर पर चोट के बाद अस्पताल में बेहोश पड़ा है और उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

किसी भी अन्य बीएसएफ कर्मी को गोलीबारी के दौरान बस से उतरने का मौका नहीं मिला और वे तभी नीचे उतर पाए जब नोमान को मरा हुआ पाकर दूसरा आतंकवादी भाग गया।

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इस दूसरे आतंकवादी नावेद को कुछ घंटे बाद तब गिरफ्तार किया गया,जब उसके द्वारा बंधक बनाए गए कुछ ग्रामीणों ने ही उसे दबोच लिया। उसे रातभर पूछताछ चलती रही, और उसने कथित रूप से बताया है कि वे दोनों आतंकवादी लगभग 45 दिन पहले कश्मीर घाटी के रास्ते भारत में घुसे थे। उसने पूछताछ करने वालों को यह भी बताया है कि उसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ट्रेनिंग दी थी।