डॉक्टर प्रणय रॉय ने विशेषज्ञों संग कई मुद्दों पर चर्चा की.
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौर के बजट के बाद अब आगे क्या? भारत किस ओर बढ़ रहा है? देश आखिर किस तरह विकास की राह को वापस हासिल करेगा? चार हिस्सों के Townhall के पहले हिस्से में डॉक्टर प्रणय रॉय (Prannoy Roy) ने दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों के साथ इन सवालों पर चर्चा की. इन विशेषज्ञों में चार नोबल अवॉर्ड विजेता शामिल हैं. जानिए पॉल मिलग्रॉम, अभिजीत बनर्जी, माइकल क्रेमर, रघुराम राजन, कौशिक बसु और अमर्त्य सेन की कोरोना के बाद की दुनिया के बारे में क्या राय है...
कोरोना महामारी के बाद भारत की 2021 में वापसी दूसरे विकासशील देशों में सबसे अच्छी रही है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) का मानना है कि यदि कोरोनावायरस का प्रभाव कम रहा तो भारत के लिए यह साल बेहतरीन साबित होगा. यह देश के लिए एक तरह से वापसी का वर्ष होगा. उन्होंने कहा कि यह सही बात है कि हम उस स्थिति तक नहीं पहुंच पाएंगे, जहां कोरोना महामारी की शुरुआत के पहले थे लेकिन निश्चित रूप से पिछले साल हमने जो गंवाया था, उसे काफी हद तक पाने में कामयाब रहेंगे. सवाल यह उठता है कि इसके बाद क्या होगा? वर्ष 2022, 2023 और 2024 में क्या होगा और कई लोगों को लगता है कि हमारी विकास दर चार या 5 फीसदी से भी कम हो जाएगी, जो कोरोना महामारी के पहले थी. भारत के लिए अच्छी स्थिति नहीं कही जा सकती क्योंकि देश को रोजगार और विकास की काफी जरूरत है.
रघुराम राजन ने कहा कि नोटबंदी ने मजबूत होती विकास दर को रोक दिया था. वैश्विक मंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था वापसी के दौर में थी लेकिन नोटबंदी ने इस गति को थाम दिया.
प्रोफेसर कौशिक बसु ने कहा, 'महामारी को एक तरफ रख दें. हालांकि, फिर से मैं बताना चाहता हूं कि महामारी के साथ, भारत दुनिया में 163 वें स्थान पर आ गया है. इसलिए, हमने अन्य देशों की तुलना में खराब प्रदर्शन किया है, और अन्य देशों ने हमसे ज्यादा महामारी की मार को झेला है. लेकिन भले ही आप इसे एक तरफ रख दें, 2016 से पिछले पांच वर्षों में हर साल पिछले वर्ष की तुलना में बुरा हुआ है, जो पहले कभी नहीं हुआ. पहली चीज जो हमें करनी चाहिए, वह डेटा को देखें, इसका अवलोकन करें. इसके लिए, देश की खातिर बेहतरीन समझ वाले लोगों को लाएं. भारत में बहुत ताकत है. देश में काफी टैलेंट है.'
एनडीटीवी : अभिजीत आप यह लगातार कहते रहे हैं कि भारत सरकार को बड़ा सोचना चाहिए, जो कि हम नहीं सोचते और बड़े स्केल पर काम नहीं करते? बड़े देश के रूप में हमें बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है.
अभिजीत बनर्जी : हां मेरा यही कहना है. यह मैंने तब भी कहा जब चीन विश्वस्तरीय शिक्षा की ओर बढ़ रहा था. हमने इस बारे में बात को बहुत की लेकिन इस पर काफी कम पैसा लगाया. मेरा एक दोस्त शिंगुआ (Tsinghua) का डीन था. उसे यह कहा गया था कि आपका काम है नौकरी के लिए लोगों को हायर करना. चीनी मूल के लोग बेहद प्रतिभाशाली हैं. आप उन्हें सैलरी ऑफर करके ले आओ. आज शिंगुआ कुछ तकनीकी के मामले में दुनिया में नंबर दो पर है. हमें ऐसा कुछ करने की जरूरत है, जो शिंगुआ और चीनी गवर्नमेंट ने किया. आप अपने डीन को ब्लैंक चैक देकर उनसे कहें कि अच्छे और क्षमतावान लोगों को लेकर आएं.
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