वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि घरेलू और विदेशों में जमा काले धन की राशि के बारे में कोई सरकारी अनुमान नहीं है
खास बातें
- 'घरेलू और विदेशों में जमा कालेधन के बारे में कोई सरकारी अनुमान नहीं'
- 'इन अनुमानों में समानता नहीं, विश्वसनीयता की भी कमी'
- 'बेनामी संपत्ति के बारे में सरकार ने अध्ययन कराया है'
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि घरेलू और विदेशों में जमा काले धन की राशि के बारे में कोई सरकारी अनुमान नहीं है तथा इस संबंध में जो विभिन्न अनुमान लगाए गए हैं, उनमें एकरूपता और विश्वसनीयता की कमी है. जेटली ने कहा कि विभिन्न व्यक्तियों (अर्थशास्त्रियों), संस्थानों के द्वारा काले धन की राशि में अलग-अलग अनुमान दिए गए हैं. ऐसे अनुमान विभिन्न प्रकार के तथ्यों, आंकड़ों पद्धतियां, परिकल्पनाओं आदि पर आधारित हैं. यह विषयवस्तु विश्वसनीय अनुमान के अनुरूप प्रतीत नहीं होती है.
अरुण जेटली ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एचएसबीसी सूची में शामिल 628 भारतीयों की जांच की गई और 409 मामलों में 8437 करोड़ रुपये का आकलन किया गया है. ऐसे लोगों के खिलाफ 190 अभियोजन दर्ज किए गए हैं.
जेटली ने कहा कि सरकार ने अन्य बातों के अलावा देश के भीतर और इसके बाहर की बेनामी आय और परिसंपत्ति के बारे में एक अध्ययन कराया है जो राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान, नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनोमिक रिसर्च तथा राष्ट्रीय वित्त प्रबंधन संस्थान द्वारा किया गया है. उन्होंने कहा कि इन संस्थानों से प्राप्त रिपोर्टों पर सरकार विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य अगले कुछ हफ्तों में इन रिपोर्टों को वित्त संबंधी स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत करने का है.
उन्होंने कहा कि मॉरीशस और साइप्रस के साथ समझौते पर फिर से विचार किया गया है वहीं सिंगापुर के साथ इस संबंध में बातचीत पूरी हो गई है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारणों में से एक काले धन पर काबू पाना था.
(इनपुट भाषा से)