कोटा से छात्रों को न लाने का फैसला : क्या है नीतीश सरकार की मजबूरी, क्यों हो रही है छीछालेदर?

नीतीश कुमार ने पहले दिल्ली से प्रवासी मज़दूरों और फिर बाद में कोटा से छात्रों को लाने के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फ़ैसले का भी विरोध कर चुके हैं.

कोटा से छात्रों को न लाने का फैसला : क्या है नीतीश सरकार की मजबूरी, क्यों हो रही है छीछालेदर?

कोटा जाने के लिए BJP विधायक को पास जारी किया गया था. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • कोटा से छात्रों का न लाने का फैसला
  • बीजेपी विधायक को मिला पास
  • घिर गई नीतीश सरकार
पटना:

उत्तर प्रदेश के बाद कई और राज्यों ने राजस्थान के कोटा से अपने राज्य के बच्चों को वापस लाने के लिए बसें भेजी हैं. जिस पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़ोन कर कहा कि ऐसे कदम से उनके जैसे लोगों पर दबाव बढ़ता है कि आख़िर वो अपने राज्य के लोगों को कब लाएंगे और सबसे अहम बात इस वार्तालाप की ये रही कि हेमंत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ये पूछ डाला कि एक देश में दो क़ानून कैसे? निश्चित रूप से हेमंत के इस बयान से सबसे ज़्यादा ख़ुश और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे जिन्होंने सबसे पहले इस मुद्दे पर अपना विरोध जताया था. नीतीश कुमार ने पहले दिल्ली से प्रवासी मज़दूरों और फिर बाद में कोटा से छात्रों को लाने के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फ़ैसले का भी विरोध कर चुके हैं. उन्होंने इसी कड़ी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी वो विरोध कर चुके हैं.

नीतीश का कहना है कि मजदूरों या छात्रों को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाना लॉकडाउन के नियमों के खिलाफ है. लेकिन जैसे ही बीजेपी विधायक अनिल सिंह द्वारा अपने बच्चे को कोटा से लाने का मामला प्रकाश में आया उससे निश्चित रूप से राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई है. लेकिन इसके साथ ही पास जारी करने वाले अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी होने का भी संकेत दिया जा रहा है. सरकार की ओर से इस बात का भी संदेश दिया जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार इस मुद्दे पर किसी को बख्शने वाले नही हैं.

लेकिन बिहार में विपक्ष ख़ासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) आक्रामक रुख अपनाए हुए है. तेजस्वी यादव हर दिन मुख्य मंत्री से एक नहीं कई सवाल करते हैं. सोमवार को उन्होंने ट्वीट कर पूछा कि बिहार सरकार का पक्षपातपूर्ण दोहरा रवैया देखिए, एक तरफ़ 13 अप्रैल को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कोटा के ज़िलाधिकारी की शिकायत करती है और दूसरी तरफ़ स्वयं कोटा के लिए पास जारी करती है. 

तेजस्वी ने कहा कि वो CM नीतीश कुमार से पूछना चाहता हैं कि...

सत्तारूढ़ दल के सचेतक की बिना Insurance वाली गाड़ी को नियमों का उल्लंघन कर 10 दिन का परमिट क्यों दिया गया?

  • डेढ़ साल से बिना बीमा यह गाड़ी कैसे चल रही थी?
  • आपके कृपापात्र विधायक को कोटा जाने के लिए कितनी गाड़ियों की अनुमति दी गयी?
  • क्या उसके सुरक्षाकर्मी भी साथ गए थे? यदि हाँ, तो क्या पुलिस मुख्यालय से उसकी अनुमति ली गई थी?
  • क्या वापस लौटने पर सचेतक की कोरोना जांच हुई है?
  • अब तक ऐसे कितने विशेष वीआईपी पास जारी किए गए हैं?
  • विधायक का कहना है कि सरकार ने अब तक ख़ास लोगों ऐसे 700 विशेष पास जारी किए गए है? सरकार उन सभी 700 लोगों की जानकारी सार्वजनिक करें.

वहीं जनता दल यूनाइटेड के मंत्री जैसे अशोक चौधरी ने इस पास के जारी होने के मामले के खुलासे एक दिन पहले ही कहा था कि अगर आप कोटा से छात्रों को लाएंगे तो भुवनेश्वर या बेंगलुरु या अन्य राज्यों से क्यों नहीं. और अगर छात्रों को लाया जायेगा तो तो मज़दूरों को क्यों नहीं.  अशोक चौधरी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ अगर इतने दयालु हैं तो मुंबई में फंसे मज़दूरों को लाने की भी पहल करें. उससे भी ज़्यादा नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में बीजेपी के मंत्री भी मानते हैं कि लॉकडाउन का मज़ाक़ बना दिया गया है. लेकिन बात अपने पार्टी की सरकार की हैं तो वो सब मौन धारण किए हुए हैं. 

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बिहार सरकार की मजबूरी
बिहार की सबसे बड़ी मजबूरी ये है कि एक साथ हज़ारों की संख्या में अगर छात्र आना शुरू कर देंगे तो उनका मेडिकल टेस्ट कैसा होगा क्योंकि कोटा में छात्रों में भी करोना का वायरस पाया गया है और कई छात्र संक्रमित हैं. ऐसे में मात्र बुखार नापकर अंदाजा लगाना उनके घर वालों को भी जोखिम में डालना है. हालांकि यहां पर नीतीश कुमार ने एक गलती ज़रूर की है कि अब तक 4 से अधिक बच्चे जो भी विशेष पाास लेकर पास लेकर वापस लौटे हैं उनको होटल या किसी अन्य जगह पर रखने के बजाए उन्हें घर में रहने को कहा है जो ठीक नहीं है.

दुनिया में

67,69,38,430मामले
62,55,71,965सक्रिय
4,44,81,893ठीक हुए
68,84,572मौत
कोरोनावायरस अब तक 200 देशों में फैल चुका है. January 9, 2024 10:54 am बजे तक दुनियाभर में कुल 67,69,38,430 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 68,84,572 की मौत हो चुकी है. 62,55,71,965 मरीज़ों का उपचार जारी है और 4,44,81,893 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है. .

भारत में

4,50,19,214 475मामले
3,919 -83सक्रिय
4,44,81,893 552ठीक हुए
5,33,402 6मौत
भारत में, 4,50,19,214 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें 5,33,402 मौत शामिल हैं. January 9, 2024 8:00 am बजे तक भारत में सक्रिय मामलों की संख्या 3,919 है और 4,44,81,893 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है.

राज्यवार व जिलावार विवरण

राज्य मामले सक्रिय ठीक हुए मौत