खास बातें
- पीएम मोदी ने मंगलवार को किया बड़ा ऐलान
- काले धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए सरकार ने उठाया कदम
- बेहद गोपनीय रखी गई पूरी प्रक्रिया
नई दिल्ली: दिल्ली में मंगलवार शाम को ये खबर आग की तरह फैली कि प्रधानमंत्री देश को संबोधित करेंगे. मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का देश को ये पहला संबोधन था, इसलिए पत्रकारों में जमकर क़यास भी लगने लगे. दोपहर में पीएम तीनों सेना प्रमुखों से और शाम को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले. इन मुलाक़ातों से ये अंदाज़ा लगाया गया कि पीएम पाकिस्तान के बारे में कोई बड़ा ऐलान करने वाले हैं. (बिल्कुल सही समय पर आया है मोदी का 'मास्टरस्ट्रोक', लेकिन बुनियादी रूप से गड़बड़ है)
लेकिन काले धन, जाली नोट और आतंकवाद से लड़ने के लिए 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का ऐलान कर पीएम ने सबको चौंका दिया. हैरानी इसलिए भी हुई क्योंकि इसके बारे में किसी को अंदाज़ा नहीं था. ये घोषणा बेहद महत्वपूर्ण थी लिहाजा इसमें गोपनीयता का पूरा ध्यान रखना जरूरी था. पता चला है कि खबर किसी भी तरह से लीक न हो, इसके लिए तमाम एहतियात बरते गए. (क्या हम बिना नगदी के कुछ समय रह सकते हैं...?)
कैबिनेट की बैठक अमूमन बुधवार को होती है मगर इसे मंगलवार को बुलाया गया. मंगलवार शाम की कैबिनेट की बैठक की सूचना मंत्रियों को सुबह दी गई. जो एजेंडा दिया गया उसमें कहीं भी नोटबंदी का जिक्र नहीं था. एजेंडे में रुटीन आइटम जैसे कुछ देशों के साथ एमओयू दस्तखत वगैरह शामिल थे. जब मंत्री बैठक के लिए साउथ ब्लॉक पहुँचे तब उन्हें एजेंडे की जानकारी मिली. (ब्लैकमनी पर सर्जिकल स्ट्राइक :10 अनसुलझे सवाल?)
ग़ौरतलब है कि नए आदेश के मुताबिक कैबिनेट मंत्री अपने मोबाइल फोन, स्मार्टफ़ोन या टैबलेट आदि बैठक में नहीं ले जा सकते हैं. ये आदेश सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जारी किया गया. इसके पीछे दलील है कि आधुनिक तकनीक से स्मार्टफ़ोन की जासूसी हो सकती है.
शाम को प्रधानमंत्री राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले और उन्हें 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले की जानकारी दी. प्रधानमंत्री ने शाम को 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने सरकारी निवास पर राष्ट्र के नाम संदेश रिकॉर्ड कराया. वहां से वो शाम करीब साढ़े सात बजे सीधे कैबिनेट बैठक में साउथ ब्लॉक पहुंचे.
कैबिनेट की बैठक में औपचारिक रूप से फैसले को मंज़ूरी दी गई. ठीक आठ बजे प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश का प्रसारण शुरू हुआ. तब पीएम अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ कैबिनेट की बैठक में ही थे. प्रसारण के समापन के बाद ही बैठक खत्म हुई. ये तय हुआ कि इस मुद्दे पर मंगलवार को पीएम के अलावा कोई अन्य मंत्री नहीं बोलेगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली अगले दिन सुबह दूरदर्शन को साक्षात्कार देंगे ताकि आम लोगों के मन में उठे प्रश्नों के उत्तर दिए जा सकें. ये भी तय हुआ कि अधिकारी विस्तार से फैसले की जानकारी देंगे ताकि कोई भ्रम न रहे.
इसीलिए प्रधानमंत्री के संदेश के तुरंत बाद अधिकारियों की प्रेस कांफ्रेंस शुरू हुई. एक सवाल के जवाब में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि नोट खत्म करने के फैसले की जानकारी चुनिंदा लोगों को ही थी.
बताया जा रहा है कि जिन लोगों को इस बारे में जानकारी थी इनमें वित्त मंत्री अरुण जेटली, खुद शक्तिकांत दास, आरबीआई के गवर्नर ऊर्जित पटेल और पीएमओ में प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा आदि शामिल हैं.
अधिकारियों का कहना है कि 500-1000 रुपये के नोट खत्म करने के फैसले में वैसी ही गोपनीयता रखी गई जैसी कि बजट बनाते वक्त होती है. इसके पीछे मक़सद यही था कि कोई भी इसका फायदा न उठा सके. सरकार को अपने इस मक़सद में पूरी कामयाबी मिली क्योंकि प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद ही पूरे देश को इसके बारे में पता चला.
हालांकि इस पर काम करीब छह महीने पहले शुरू हो गया था. बैंकों में 2000 रुपये के नोट छप कर पहुंचने लगे थे. लेकिन बैंक कर्मचारियों को नहीं बताया गया था कि उन नोटों का क्या करना है और वो किसलिए पहुंचाए गए. जाहिर है इस ऐलान की कामयाबी इसी बात में थी कि इससे पर्दा न हट सके और इस मामले में पूरी तरह से ऐसा ही हुआ.