कैसे COVID-19 के खतरों के बीच जान जोखिम में डालकर इलाज कर रहे हैं ये डॉक्टर, साझा किया अपना अनुभव

कोरोना वायरस के कारण देश में मरने वाले लोगों की संख्या 166 पर पहुंच गई है और संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 5,734 हो गई है.

पटना:

कोरोना वायरस के कारण देश में मरने वाले लोगों की संख्या 166 पर पहुंच गई है और संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 5,734 हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अब भी 5,095 लोग संक्रमित हैं जबकि 472 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है.  इन सब के बीच लोगों की नजर बिहार की तरफ है. लॉकडाउन के बाद हजारों की संख्या में मजदूर बिहार पहुंचे हैं. बिहार के भी कई हिस्सों में कोरोना से संक्रमित लोगों की पहचान हो चुकी है. प्रशासनिक स्तर पर भी कई तैयारी की गयी है. बिहार के पटना में स्थित एम्स में करोना मरीजों की जांच और इलाज की जा रही है. अब तक 80 से अधिक मरीज एम्स में पहुंच चुके हैं. जिसमें से 1 की मौत हो  गयी है लेकिन 2 इस बीमारी को हराने में भी सफल रहे हैं. 

कोरोना का अब तक दुनिया भर में कोई दवाई नहीं खोजा जा सका है. लेकिन दुनिया भर के डॉक्टर कम संसाधन में भी लोगों के इलाज में दिन रात जुटे हुए हैं. पटना एम्स में भी डॉक्टरों की तरफ से हर संभव कोशिश की जा रही है. NDTV ने पटना एम्स के डॉक्टर लोकेश तिवारी से बात की वो डीप्टी एम एस के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि जब चीन में यह समस्या बढ़ी तब से ही हमारी तैयारी शुरु हो गयी थी. यहां तक की WHO के फैसलों से पहले ही हमने तैयारी शुरु कर दी थी. सभी स्टाफ पूरे जोश के साथ अपने काम में लगे हैं. अन्य डॉक्टरों का भी कहना है कि हमने एक चेन बना लिया है और दिनों दिन लगातर और अधिक तैयारी के साथ काम में लगे हैं. साथ उनका कहना है कि कोरोना के कारण लोगों में जागरूकता आयी है जिससे अन्य रोग से लड़ने में भी सहायता मिलेगी.

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