यूपी में इन 6 तरीकों से बनते हैं फर्जी टीचर, कुछ तो अब तक पा चुके हैं 40 लाख रुपये सैलरी

उत्तर प्रदेश में 4 हजार फर्जी अध्यापकों की नियुक्ति का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. फर्जी दस्तावेज लगाकर कई लोग सालों से सरकारी अध्यापक बने बैठे हैं लेकिन सरकार को आज तक खबर नहीं है.

यूपी में इन 6 तरीकों से बनते हैं फर्जी टीचर, कुछ तो अब तक पा चुके हैं 40 लाख रुपये सैलरी

उत्तर प्रदेश में अब तक पकड़े जा चुके हैं 40 हजार फर्जी टीचर (फाइल फोटो)

खास बातें

  • STF की जांच में आया सामने
  • 4 हजार फर्जी टीचर पाए गए
  • अभी जांच जारी है
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में 4 हजार फर्जी अध्यापकों की नियुक्ति का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. फर्जी दस्तावेज लगाकर कई लोग सालों से सरकारी अध्यापक बने बैठे हैं लेकिन सरकार को आज तक खबर नहीं है. जाहिर ये भ्रष्टाचार की करतूत सामने बिना अधिकारियों की मिली भगत से नहीं हुई होगी. अंदेशा है कि इनकी तादाद इससे कहीं ज़्यादा है. कहा तो ये भी जा रहा है कि प्राइमरी शिक्षा पर उत्तर प्रदेश सरकार के 65 हज़ार करोड़ के बजट का क़रीब 10 से 15 हज़ार करोड़ ऐसे ही फ़र्ज़ी टीचर्स पर खर्च हो रहा है. अब तक मथुरा- 124, सिद्धार्थ नगर-97, बाराबंकी-12, अमेठी-10, आजमगढ़-5, बलरामपुर-5, महराजगंज-4, देवरिया-3, सुल्तानपुर-3, बरेली-2, सीतापुर-2, अंबेडकरनगर-1, गोरखपुर-1 में फर्जी टीचर पकड़े गए हैं.  बरेली में गिरफ्तार फर्जी अध्यापक उमेश कुमार और विनय कुमार 40-40 लाख रुपये की सैलरी अब तक पा चुके हैं. उत्तर प्रदेश में प्राइमरी शिक्षा का बजट 65 हजार करोड़ रुपया है. फर्जी अध्यापक की जांच करने वालों का अंदेशा है कि इसमें 10000 से 15000 हजार करोड़ रुपये सालाना इन फर्जी शिक्षकों पर खर्च हो रहा है. एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने बताया कि जब जांच का काम शुरू हुआ तो लगा कि यह एक छोटा मामला है. लेकिन बाद में इतनी बड़ी समस्या निकल आई है. सबसे पहला खुलासा मथुरा में हुआ जहां 85 अध्यापकों की बात सामने आई थी.

जानिए कैसे बनते हैं फर्जी टीचर
1- फर्जी डिग्री से नौकरी पाना
2- दूसरों के नाम पर नौकरी पाना
3- बिना अप्लाई किए फर्जी नियुक्ति पत्र से नौकरी पाना.
4-फर्जी जाति प्रमाणपत्र से रिजर्वेशन से नौकरी पाना.
5- फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट बनवाकर कोटे से नौकरी पाना.
6- अल्पसंख्यक स्कूलों में नाकाबिल दोस्तों और रिश्तेदारों को कोटे के जरिए नौकरी दिलवा देना.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

STF के आईजी अमिताभ यश ने बताया, ' सिद्धार्थनगर बीएसए के स्टेनो हरेंद्र सिंह को कई फर्जी टीचर की जानकारी हो गई थी. एसटीएफ के आरोप हैं कि स्टेनो साहेब ने समाजसेवी फहीम के नाम से फर्जी लेटर पैड छपवा दिया फिर उसी लेटरपैड पर बीएसए के नाम पर फर्जी टीचर का नाम लिखकर उनकी जांच कराने की मांग की. बीएसए के नाम पोस्ट की गई चिट्ठी स्टेनो साहब के ही पास आई थी. वह उस चिट्ठी को रजिस्टर में एंट्री करते फिर फर्जी टीचर को बुलाकर कहते कि आपके खिलाफ फर्जी टीचर होने की जांच कराने की चिट्ठी आई है. इसे दबाने में बहुत रुपया खर्च होगा फिर क्या होगा आप समझ सकते हैं'.