अलगाववादी नेताओं की नज़रबंदी और रिहाई से पाकिस्‍तान को कड़ा संदेश : सरकारी सूत्र

अलगाववादी नेताओं की नज़रबंदी और रिहाई से पाकिस्‍तान को कड़ा संदेश : सरकारी सूत्र

जम्‍मू :

NDTV से सरकारी सूत्रों ने कहा है कि NSA वार्ता से पहले हुर्रियत  नेताओं की नज़रबंदी कर उन्‍हें रिहा कर भारत ने पाकिस्‍तान को कड़ा संदेश देने की कोशिश की है। ऐसा कर भारत सरकार ने साफ किया कि हुर्रियत नेता इस अहम बातचीत में तीसरी पार्टी न बनें।

इससे पहले भारत-पाकिस्‍तान के बीच आगामी रविवार को होने वाली राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) वार्ता से पहले हिरासत में लिए गए अलगाववादी नेता यासीन मलिक को रिहा कर दिया था। उन्हें सुबह ही हिरासत में लेकर श्रीनगर के मैसुमा थाने ले जाया गया था। इसके साथ ही मीरवाइज उमर फ़ारुक़ और सैयद अली शाह गिलानी पर से भी पाबंदी हटा ली गई। इन दोनों को आज सुबह ही नजरबंद कर लिया गया था और उनके घरों के आगे बैरिकेड लगाकर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।

इधर ये भी ख़बर आ रही है कि हुर्रियत नेता पाकिस्तानी उच्चायुक्त से NSA स्तर की बातचीत के बाद मिलेंगे। पाकिस्तानी उच्चायोग ने हुर्रियत नेताओं को बातचीत के लिए नहीं बल्कि डिनर के लिए बुलाया है। 23 अगस्त को ही भारत और पाकिस्तान के बीच NSA स्तर की बात होनी है। पिछली बार पाक उच्चायुक्त की हुर्रियत नेताओं से मुलाकात के बाद ही भारत ने बातचीत बंद कर दी थी।  

दरअसल, पाकिस्तानी उच्चायोग ने 23 अगस्त को हुर्रियत नेताओं को बातचीत के लिए दिल्ली आने का न्योता दिया था। हुर्रियत नेताओं ने इस न्योते को स्वीकार भी किया था। पाकिस्तान के इस प्रस्ताव के बाद अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने कल श्रीनगर में बैठक बुलाई थी।

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर हुर्रियत नेताओं की गिरफ़्तारी की निंदा की थी। उन्‍होंने ट्वीट किया, मैंने भारत-पाक के बीच कभी ऐसी बातचीत नहीं देखी है, जहां दोनों पक्ष इसे रद्द करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत और पाकिस्तान बातचीत रद्द करने के लिए वजह ढूंढने में एक दूसरे को टक्कर दे रहे हैं। उन्‍होंने अगले ट्वीट में कहा, गोलाबारी, घुसपैठ, आतंकी हमले और अब हुर्रियत नेताओं की गिरफ़्तारी. साफ़ तौर पर कोई भी पक्ष बातचीत नहीं चाहता है और न ही किसी पक्ष में इसे रद्द करने की हिम्मत है।