गुटखा घोटाले की जांच क्यों न सीबीआई से कराई जाए: मद्रास हाईकोर्ट

बीते वर्ष जुलाई में एमडीएम ब्रांड का गुटखा बनाने वालों और बेचने वालों के खिलाफ छापेमारी के दौरान आयकर अधिकारियों को गुटखा उत्पादों की अवैध बिक्री जारी रखने के लिए शीर्ष लोगों को रिश्वत देने के आरोपों के सबूत भी हाथ लगे.

गुटखा घोटाले की जांच क्यों न सीबीआई से कराई जाए: मद्रास हाईकोर्ट

तमिलनाडु में गुटखा घोटाले में एक मंत्री द्वारा रिश्वत लेने की बात सामने आ रही है

चेन्नई:

मद्रास उच्च न्यायालय ने  गुटखा  घोटाले में राज्य के एक मंत्री एवं अधिकारियों की संलिप्तता के आरोपों की जांच की मांग को लेकर द्रमुक के एक विधायक द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र एवं तमिलनाडु सरकारों से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम सुंदर की पीठ ने दोनों सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा तथा जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 11 सितंबर को तय कर दी है. अदालत ने यह भी पूछा है कि क्यों ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए. 

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याचिकाकर्ता जे अन्बझगन ने प्रतिबंधित गुटखा की ब्रिकी की व्यवस्था करने में मंत्री तथा सरकार एवं केंद्र सरकार के अधिकारियों की कथित संलिप्तता की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक एसआईटी नियुक्त करने की मांग की जिसमें सीबीआई एवं दूसरे विभागों के अधिकारी शामिल हों.

मामला सबसे पहले 28 जुलाई को सुनवाई के लिए आया था और याचिकाकर्ता के वकील द्वारा अधूरी दलीलें देने के बाद सुनवाई टाल दी थी.

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सोमवार को सुनवाई बहाल होने के बाद याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील पी. विल्सन ने कहा कि किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराना बेहद जरूरी है क्योंकि मामले में राज्य तथा केंद्र सरकार दोनों के अधिकारी संलिप्त हैं.

न्यायमूर्ति ने सुनवाई के दौरान जब आरोपों को सुना तो इसे अत्यंत गंभीर प्रकृति का बताया. द्रमुक ने याचिका में कहा है कि गुटखा और पान मसाला की खरीद-बिक्री पर पूरी तरह रोक है. फिर भी बीते वर्ष जुलाई में एमडीएम ब्रांड का गुटखा बनाने वालों और बेचने वालों के खिलाफ छापेमारी के दौरान आयकर अधिकारियों को गुटखा उत्पादों की अवैध बिक्री जारी रखने के लिए शीर्ष लोगों को रिश्वत देने के आरोपों के सबूत भी हाथ लगे.

(इनपुट भाषा से)


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