महाभियोग किसी समस्या का हल नहीं, सिस्टम में सुधार हो : जस्टिस जे चेलामेश्वर

‘एक लोकतंत्र में करण थापर के साथ न्यायपालिका की भूमिका’ कार्यक्रम में जस्टिस ने कहा कि निराशा और पीड़ा के कारण करनी पड़ी थी प्रेस कॉन्फ्रेंस

महाभियोग किसी समस्या का हल नहीं, सिस्टम में सुधार हो : जस्टिस जे चेलामेश्वर

कार्यक्रम ‘एक लोकतंत्र में करण थापर के साथ न्यायपालिका की भूमिका’ में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलामेश्वर से पत्रकार करण थापर ने बातचीत की.

खास बातें

  • हारवर्ड क्लब ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में करण थापर ने की बातचीत
  • NJAC को रद्द करने के फैसले पर कमेंट करने से किया इनकार
  • कॉलेजियम सिस्टम का वक्त-वक्त पर ऑडिट होता रहना चाहिए
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस जे चेलामेश्वर ने कहा है कि उन्हें निराशा और पीड़ा के कारण 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी था. वे रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पोस्ट नहीं लेंगे.

वरिष्ठ पत्रकार करण थापर द्वारा लिए गए साक्षात्कार में जस्टिस जे चेलामेश्वर ने न्यायिक प्रणाली के सिस्टम में बदलाव की जरूरत जताई. उन्होंने कहा बेंचों को केस आवंटन के लिए पारदर्शी मैकेनिज्म हो. महाभियोग किसी समस्या का हल नहीं है, सिस्टम में सुधार हो. उन्होंने कहा कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं लेकिन केसों के आवंटन में मनमाना तरीका नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि अगर जस्टिस रंजन गोगोई अगले CJI नहीं बन पाते तो जो प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा वो सही साबित होगा. उन्होंने कहा कि जयललिता केस में बेंच का चुनाव सही नहीं था, एक साल रिजर्व रहने के बाद दिया गया फैसला. मेडिकल घोटाले में चीफ जस्टिस द्वारा उनके फैसले को पलटना गलत था. पांच वरिष्ठ जज मामले की सुनवाई कर सकते थे.

वरिष्ठ न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कोई सीनियर या जूनियर जज नहीं है.50 हजार लंबित केसों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट को सोचना होगा. उन्होंने कहा कि लोया केस को बेंच को दिए जाने पर आपत्ति नहीं उठाई, निराशा और पीड़ा के चलते प्रेस के सामने आना पड़ा.

हारवर्ड क्लब ऑफ इंडिया के कार्यक्रम ‘एक लोकतंत्र में करण थापर के साथ न्यायपालिका की भूमिका’ में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलामेश्वर से वरिष्ठ पत्रकार करण थापर ने बातचीत की. इस कार्यक्रम में जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि मैंने जब आमंत्रण स्वीकार किया था तो सोचा था कि हारवर्ड के छात्रों से बातचीत होगी. मैंने नहीं सोचा था कि करण थापर के हवाले किया जाएगा.

NJAC (नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन) पर थापर ने पूछा कि क्या NJAC को रद्द कर कोर्ट ने गलती की? जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि मैं इस जजमेंट पर कमेंट नहीं कर सकता, जो मैंने लिखा था और मैं बहुमत के फैसले के साथ नहीं था.

प्रश्न कॉलेजियम सिस्टम में विश्वास करते हैं? पर उन्होंने कहा कि कोई भी सिस्टम परफेक्ट नहीं हो सकता, जो इंसान द्वारा बनाया गया है. एसेसमेंट में लैप्स हुए हैं, गलती हुई हैं. वक्त-वक्त पर ऑडिट होता रहना चाहिए.  MOP (उच्च न्यायापालिका में जजों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया ज्ञापन) को लेकर सरकार और कॉलेजियम में टकराव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है कि सरकार ने कोई पत्र कॉलेजियम को भेजा है. थापर ने पूछा कि क्या चीफ जस्टिस ने आपको अंधेरे में रखा? उन्होंने कहा- इसका मतलब है कि मुझे जानकारी नहीं है.

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करण थापर ने प्रश्न किया - कानून मंत्री ने कहा कि MOP में जजों की नियुक्ति के लिए स्क्रीनिंग कमेटी होनी चाहिए? जस्टिस ने कहा- मुझे इसका जवाब देने में दिक्कत है. ये केंद्र और पांच टॉप जजों के बीच का मामला है. मैं जनता के बीच अपने विचार नहीं रख सकता.

राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर नियुक्ति में अड़चन के सवाल पर उन्होंने कहा इस मामले में अलग सरकार और कॉलेजियम जज की तलाश करना चाहते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है.

उत्तराखंड के चीफ जस्टिस केएम जोसफ और इंदू मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति नहीं हो रही है? सरकार बैठी है? उन्होंने इसके उत्तर में कहा हमें सरकार के जवाब का इंतजार है. हमें जजों की नियुक्ति में देरी की चिंता है. कॉलेजियम ने दोबारा नाम नहीं भेजे हैं. इस पर थापर ने कहा, क्या इसका जवाब इसलिए नहीं दे रहे हैं क्योंकि चीफ जस्टिस को एमबेरेसमेंट होगी? उन्होंने कहा- नहीं, सुप्रीम कोर्ट के जज होने के नाते मुझे भी होगी.

थापर ने पूछा कि क्या वजह रही कि आपको सार्वजनिक तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करना पड़ी? जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा- इसका जवाब चिट्ठी में है. क्या वजह रही कि प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी, ये पब्लिक हो चुका है. निराशा और पीड़ा के चलते 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी. मैं रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पोस्ट नहीं लूंगा.

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थापर के प्रश्न प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट से जुड़े मेडिकल घोटाला मामले में कामिनी जयसवाल की याचिका पर क्या हुआ? पर उन्होंने कहा मैं इस मामले में टिप्पणी नहीं कर सकता, मुझे दिक्कत है. कई बातें कही गईं. मैं इस सवाल से जूझ रहा हूं कि आखिर उस फैसले को क्यों बदला गया. हमने कभी विवाद नहीं किया कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. ये मामला मेरे पास आया. चूंकि एक पूर्व एक्टिंग चीफ जस्टिस को गिरफ्तार किया गया. ये देश और न्यायपालिका के लिए गंभीर मामला था. इसलिए मैं चाहता था कि पांच वरिष्ठ जज इस मामले को सुनें. इस पर थापर ने पूछा कि क्या चीफ जस्टिस की गैरमौजूदगी में ये फैसला किया? उन्होंने कहा-  मैं समझता हूं कि ये मैंने अपने अधिकार क्षेत्र में किया. थापर ने प्रतिप्रश्न किया- लेकिन CJI ने इस फैसले को पलट दिया. क्या ये उनकी गलती थी?  जस्टिस ने कहा- ये आप खुद फैसला करें.

थापर के प्रश्न, आपकी चिट्ठी में लिखा था कि चीफ जस्टिस कुछ चुनिंदा बेंचों को केस देते हैं. वे कौन से केस हैं? पर जस्टिस ने कहा मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता.

थापर ने पूछा, जयललिता का क्या केस था? उन्होंने जवाब दिया, मास्टर ऑफ रोस्टर के फैसले के पीछे क्या उद्देश्य था? जयललिता केस एक साल पहले रिजर्व हो चुका था, तो क्या उद्देश्य हुआ.

थापर ने पूछा जज लोया केस को जस्टिस अरुण मिश्रा के पास भेजने से मामला ट्रिगर हुआ?  जस्टिस  चेलामेश्वर ने कहा- हमने कभी भी ये नहीं कहा, प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी नहीं. ये लोगों ने खुद ही समझ लिया क्योंकि उसी दिन केस लिस्टेड था. चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर हैं, लेकिन बेंचों को मनमाने ढंग ये केस नहीं दिए जा सकते.

VIDEO : हालात ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर मजबूर किया

थापर के प्रश्न, शांति भूषण ने भी इस पर याचिका दाखिल की है. इसमें दस उदाहरण दिए गए हैं? उन्होंने कहा- मैं लंबित केस पर टिप्पणी नहीं करूंगा.


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