ICMR ने पहली बार माना, दोबारा हो सकता है कोरोना संक्रमण लेकिन...

डॉ. बलराम भार्गव (Balram Bhargav) ने कहा है कि कोरोना में दोबारा संक्रमण बहुत बहुत रेयर होता है. हमने चेचक में भी दोबारा संक्रमण होते हुए देखा है, इसी तरह से कोविड में दोबारा संक्रमण हो सकता है.

ICMR ने पहली बार माना, दोबारा हो सकता है कोरोना संक्रमण लेकिन...

ICMR के महानिदेशक ने कोराना वैक्‍सीन को लेकर हुए डेवलपमेंट की भी जानकारी दी

खास बातें

  • दूसरी बार का संक्रमण होता है बेहद हल्‍का
  • बेहद रेयर होता है कोरोना का दोबारा संक्रमण
  • कोरोना वैक्‍सीन को लेकर प्रगति की जानकारी दी
नई दिल्ली:

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR ने पहली बार माना है कि दोबारा कोरोना संक्रमण (Covid-19 infection)हो सकता है. ICMR के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव (Balram Bhargav) ने कहा है कि कोरोना में दोबारा संक्रमण बहुत बहुत रेयर होता है. हमने चेचक में भी दोबारा संक्रमण होते हुए देखा है, इसी तरह से कोविड में दोबारा संक्रमण हो सकता है जैसा कि हांगकांग के केस में बताया गया. इसके साथ ही उन्‍होंने कहा, लेकिन यह कोई चिंता की बात नहीं है. जब भी दोबारा संक्रमण होगा. हल्का होगा. डॉ. भार्गव ने यह विचार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जताए. 

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कोरोना वैक्‍सीन को लेकर उन्‍होंने बताया कि Zydus कैडिला का पहला फेज पूरा, दूसरे फेज का रिक्रूटमेंटपूरा हुआ. इनकी वैक्सीन के ट्रायल में तीन डोज़ लगते हैं. 28-28दिन में तो उनके तीन डोज़ बाकी हैं. इसी क्रम में भारत बायोटेक का फेस वन पूरा हो चुका है उसके नतीजों का आकलन किया जा रहा है, फेस-2 का रिक्रूटमेंट पूरा हो चुका है और उनकी सेकंड डोज लगना बाकी है.सीरम इंस्टीटूट के फेज 2/3 ट्रायल के पहले 100 मरीज़ हो गए हैं. उसके बाद उनका 7-8 दिन का pause था क्योंकि वह फेस 3 शुरू करना चाहते हैं.जैसे ही क्लीयरेंस आ जाएगा, 1500 मरीज़ों और 14 साइट्स में भारत मे वो अब शुरू हो जाएगा.

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 प्लाज्मा थैरेपी पर अपनी स्टडी पर डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि ये pre प्रिंट वर्शन हैं जिसकी अभी समीक्षा की जा रही है एक बार समीक्षा हो जाएगी और हमें पूरी रिपोर्ट मिल जाएगी तो इस डाटा को नेशनल टास्क फोर्स और स्वास्थ्य मंत्रालय के मॉनिटरिंग ग्रुप में भेजा जाएगा कि हम इसको आगे जारी रखें या नहीं. डॉ भार्गव ने सीरो सर्वे के बारे में कहा कि कभी भी एक सर्वे से फायदा नहीं होता. आपने भी जेनेवा में देखा है, वह हर हफ्ते एक सीरो सर्वे करते हैं। 5 हफ्ते लगातार उन्होंने किया और फिर वह छपा, लेकिन उसमें कोई खास बदलाव नजर नहीं आया. इसी तरह से भारत में बहुत से राज्य सीरो सर्वे कर रहे हैं और वह हमको डाटा दे रहे हैं. अप्रैल-मई में जो हमने राष्ट्रीय सीरो सर्वे किया था वह अब 3 महीने बाद रिपीट किया जा रहा है. इस समय 70 में से 68 जिलों में वह पूरा हो चुका है उसका आकलन किया जा रहा है और इस महीने उसके नतीजे हमें मिल जाएंगे. उसके बाद हम पहले और दूसरे वाले की तुलना कर सकते हैं.

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