NDTV Exclusive: तेजस के आधुनिक वर्जन का डिजाइन आया सामने, जानिए आखिर कैसे राफेल को दे सकेगा टक्कर

एरोनॉटिकल डिजाइन एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा आधुनिक फाइटर प्लेन बनाने को लेकर अध्ययन किया जा रहा है. केंद्र सरकार अगर इन्हें बजट मुहैया कराती है तो इन आधुनिक फाइटर प्लेन का निर्माण संभव हो सकेगा.

NDTV Exclusive: तेजस के आधुनिक वर्जन का डिजाइन आया सामने, जानिए आखिर कैसे राफेल को दे सकेगा टक्कर

भारतीय फाइटर प्लेन तेजस का नया वैरिएंट राफेल की बराबरी कर सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खास बातें

  • राफेल को टक्कर दे सकता है तेजस
  • ट्विन इंजन से लैस होगा नया तेजस
  • अत्याधुनिक तकनीक और हथियारों से भी होगा लैस
नई दिल्ली:

भारत का डबल इंजन वाला लड़ाकू विमान तेजस आने वाले 12 वर्षों में रूस निर्मित जेट मिग-29K को री-प्लेस कर सकता है. इस समय मिग-29K को आईएनएस विक्रमादित्य और विक्रांत पर तैनात किया गया है. अभी तक तेजस को यहां तैनात नहीं किया गया है. एरोनॉटिकल डिजाइन एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा आधुनिक फाइटर प्लेन बनाने को लेकर अध्ययन किया जा रहा है. केंद्र सरकार अगर इन्हें बजट मुहैया कराती है तो इन आधुनिक फाइटर प्लेन का निर्माण संभव हो सकेगा. एयरफोर्स के जेट के साथ द ऑमनी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (ORCA) के डिजाइन पर भी अध्ययन किया जा रहा है. इस नए वैरिएंट का वजन 1 टन तक कम होगा क्योंकि इसमें किसी एयरक्राफ्ट कैरियर के डेक से ऑपरेशंस के लिए जरूरी हैवी रीइन्फोर्स्ड लैंडिंग गियर की जरूरत नहीं होगी.

इस प्रोजेक्ट से जुड़े करीबी सूत्रों ने NDTV को बताया कि विमान के प्रोटोटाइप के लिए डिजाइन और इसकी लागत 12,780 करोड़ रुपए से कम होगी. यह रकम भारतीय वायुसेना के लिए खरीदे जाने वाले 36 राफेल विमानों को लेकर भारत और फ्रांस के बीच हुई डील से कम होगी. इस हिसाब से देखा जाए तो तेजस फाइटर के ट्विन इंजन वैरिएंट के डिजाइन और इसकी लागत 13 हजार करोड़ रुपए से कम होगी. नौसेना के लिए एक विमान की कीमत करीब 538 करोड़ रुपए होगी. वायुसेना के लिए इस विमान के वैरिएंट की कीमत नौसेना की तुलना में 35 से 71 करोड़ रुपए कम होगी. इसके लिए बजट मुहैया कराए जाने के बाद इसके निर्माण में करीब 6 साल का समय लगेगा.

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प्रोजेक्ट डिजाइनर ने कहा कि तेजस फाइटर को देखते हुए ट्विन इंजन वाले आधुनिक तेजस का निर्माण आसानी से किया जा सकता है. इस फाइटर प्लेन का प्रोटोटाइप अगले कुछ हफ्तों में पहली बार आईएनएस विक्रमादित्य के डेक पर लैंड करेगा. इसमें यूएस द्वारा निर्मित F404-GE-IN20 टर्बोफोन इंजन लगाया गया है. नया तेजस दो F414 इंजन से लैस होगा और यह अत्याधुनिक तकनीक और हथियारों से भी लैस होगा. इसमें पहले के मुकाबले पायलट की सुरक्षा का भी खास ख्याल रखा गया है.

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इसका वजन 23 टन होगा. 2030 तक यह भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होगा. साइज में यह लगभग मिग-29K विमान के बराबर होगा. इसमें 9 टन तक हथियारों को लोड किया जा सकता है. डेक पर जगह बचाने के लिए इसके विंग्स फोल्ड किए जा सकेंगे. स्पीड की बात करें तो यह मैक 1.6 या दो हजार रुपए किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरेगा. यह फाइटर प्लेन लेटेस्ट रडार सिस्टम से लैस होगा. इसकी मदद से हवा, जमीन और समुद्र में भी दुश्मनों का पता लगाया जा सकेगा. सभी फाइटर प्लेन मेड इन इंडिया डेटा लिंक्स के साथ आएंगे. हाल ही में संपन्न हुए परीक्षण के दौरान एस्ट्रा एयर टू एयर मिसाइल में लंबी अवधि के वैरिएंट सहित भारत में निर्मित हथियारों की मेजबानी की गई थी, जो जेट विमानों का परीक्षण करेगी.

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प्रोजेक्ट डिजाइनर्स ने कहा कि 2030 से लेकर 2050 तक 750 से ज्यादा एयरक्राफ्ट्स को बदले जाने की जरूरत होगी. 2040 तक वायुसेना के बेड़े का शान बढ़ाने वाले सुखोई 30MKI को भी रिटायर करने की जरूरत होगी. ट्विन इंजन वैरिएंट वाले तेजस के बारे में डिजाइनर्स का मानना है कि यह तरक्की की ओर एक कदम है क्योंकि वह मेड इन इंडिया फाइटर प्लेन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. यह तेजस से अधिक सक्षम और महंगा जरूर होगा लेकिन दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने में इसका कोई सानी नहीं होगा. अगर इसकी फंडिंग की जाती है तो 2030 तक यह सेना के स्क्वाड्रन में शामिल हो जाएगा. भविष्य के फाइटर प्लेन पर काम कर रहे डिजाइनर्स का मानना है कि ट्विन इंजन वाला तेजस लड़ाकू विमान राफेल का मुकाबला कर सकेगा. यह उसकी तुलना में जरा भी कम नहीं होगा. साफ है कि यह पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित किया जाएगा. हवाई सेवाओं में हमारी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए यह एक बड़ा कदम साबित होगा.