दिल्ली में बीजेपी के नेतृत्व में खुलेआम धमकियां देते, हल्ला करते घूम रहे हैं 'अराजक गोरक्षक'

दिल्ली में बीजेपी के नेतृत्व में खुलेआम धमकियां देते, हल्ला करते घूम रहे हैं 'अराजक गोरक्षक'

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगभग सटे दादरी इलाके में गोमांस खाने की अफवाहों के बाद भीड़ द्वारा एक व्यक्ति की हत्या कर दिए जाने को लेकर कई दिन तक प्रतिक्रिया नहीं देने के बाद एक तरफ गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुप्पी तोड़ी और कड़ा संदेश जारी किया, और शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी अपने साथियों से संयम बरतने का आग्रह किया, लेकिन उसी समय पूर्वी दिल्ली के शाहदरा स्थित एक मंदिर में माहौल काफी गर्माया हुआ है।

हम जब वहां पहुंचे, तो भारी पुलिस बंदोबस्त मौजूद था, लेकिन वह सिर्फ मूक दर्शक बना दिखाई दे रहा था, और चारों तरफ खड़े दर्जनों युवक हिन्दू-समर्थक नारे लगा रहे थे। उनमें से एक ने हमें एक व्हॉट्सऐप वीडियो दिखाया, जिसकी वजह से वे यहां पहुंचे थे। वीडियो में दिखा कि दो ट्रक रोके गए, जिनमें इन युवकों के दावे के मुताबिक बैल लदे थे, जिन्हें काटने के लिए ले जाया जा रहा था।

हमें इसके बाद भीड़ के नेता - सर्वेंद्र मिश्रा - तक पहुंचाया गया, जो खुद को दिल्ली बीजेपी की गोरक्षा इकाई का सदस्य बताते हैं। उन्हीं के साथ खड़े थे हरियाणा-स्थित गोरक्षा दल के सदस्य सतीश कुमार, जिन्होंने कहा कि गुरुवार को दिल्ली में प्रवेश करते ही उन्हें पशुओं से लदे दो ट्रक दिखाई दिए, जिन्हें रोका गया। सतीश कुमार का दावा है कि इन बैलों को पंजाब से लाकर उत्तर प्रदेश के बूचड़खानों में ले जाया जा रहा था। इसके बाद सर्वेंद्र मिश्रा ने कहा, "हम यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि दिल्ली में ऐसा खुलेआम हो रहा है..."
 


जब उनसे पूछा गया कि क्या यह कानून को हाथ में लेने जैसा नहीं है, दोनों नेताओं तथा उनके साथ मौजूद भीड़ ने शोर मचाकर कहा, "हमने सिर्फ ट्रकों को रोका, और पुलिस को बुलाया..."

हालांकि गोरक्षा दल के दावे कुछ भी हों, यूट्यूब पर उनके द्वारा डाले गए वीडियो कुछ और ही कहानी बयान करते हैं। एक वीडियो में सतीश कुमार और उनके लोग हथियार लहराते हुए एक जीप में सवार होकर जाते दिखते हैं। बाद में वे ट्रकों को रोकते दिखाई देते हैं, और फिर वे ट्रक ड्राइवर और उसके सहायक को बेरहमी से पीटते भी नज़र आते हैं। वीडियो के अंत में वे सभी लोग ट्रक को आग लगाते दिखाई दे रहे हैं।

सो, ऐसा साफ दिखाई देता है कि दादरी कांड को लेकर मचे हाहाकार और सरकार की चेतावनियों के बावजूद इन 'गोरक्षक' गुटों का रवैया कतई नहीं बदला है, और न ही उन्हें रोकने की कोई कोशिश नज़र आती है।

बीजेपी के नेताओं और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद सतीश कुमार खुलेआम धमकी जारी करते हैं, "मेरी बात सुनिए... अगर कोई हमारी गोमाता को काटने के लिए ले जाएगा, और हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा, तो देश की संस्कृति में विश्वास रखने वाले लोग, भारत के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे, और ज़रूरत पड़ी, तो उन लोगों को भी मार डालेंगे..."

इस बीच, वहां मौजूद पुलिस अधिकारी, जो भीड़ को हटाने की नाकाम कोशिशें कर रहा था, परेशान दिख रहा था, और हमसे बात करने के लिए तैयार नहीं था। जब हम पूर्वोत्तर दिल्ली के डीसीपी वीनू बंसल से मिले, तो वह भी ट्रक वालों के खिलाफ ही कार्रवाई करने के ज़्यादा इच्छुक दिखाई दिए, हालांकि उन्होंने कहा कि किसी भी गलत काम का फिलहाल कोई सबूत नहीं मिला है।

उन्होंने कहा, "हम उनके दस्तावेज़ जांचेंगे, और देखेंगे कि वे किस आधार पर इन जानवरों को ले जा रहे थे... तभी जान पाएंगे कि यह ट्रांसपोर्ट कानूनी तौर पर सही था या नहीं..."

दिल्ली के कानून के मुताबिक गाय और गाय परिवार के पशुओं को काटने के लिए ले जाना और बेचना अपराध है।

जब हमने इस बारे में सतीश कुमार और सर्वेंद्र मिश्रा से पूछा तो अलग-अलग जवाब मिले। सर्वेंद्र ने कहा कि बैलों को बेहद खराब हालत में ले जाया जा रहा था, जो पशुओं के प्रति क्रूरता से जुड़े कानूनों का उल्लंघन हो सकता है, जबकि सतीश ने जोर देकर कहा कि उन्हें काटने के लिए ही ले जाया जा रहा था। सबूत के तौर पर उन्होंने बैलों की तरफ इशारा किया और कहा, "इनकी हालत देखिए... इस हालत में जानवरों को सिर्फ काटने ही ले जाया जाता है..."

दरअसल, बैल बूढ़े थे, और सफर की वजह से और भी बेहाल दिख रहे थे, लेकिन यह कहना फिर भी मुश्किल था कि उन्हें बूचड़खाने ही ले जाया जा रहा था।

पुलिस यह कबूल करती है कि इस तरह ठोस सबूतों की गैरमौजूदगी में अराजक तरीकों से कानून को अपने हाथ में लेने की घटनाएं सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकती हैं। डीसीपी बंसल ने स्वीकार किया, "यह भी मुमकिन है कि इस तरह सांप्रदायिक तनाव फैल जाए... इसीलिए हमने वहां पर्याप्त पुलिस बल भेजा हुआ है..."

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लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस सबके बावजूद आखिरकार पशुओं को ले जा रहे ट्रकों को जब्त किया गया, ड्राइवरों को हिरासत में लिया गया, और बैलों को भी पुलिस ने कब्ज़े में ले लिया, लेकिन भीड़ का नेतृत्व करने वाले इन नेताओं को आज़ाद छोड़ दिया गया, ताकि वे अगला 'मौका' तलाश कर सकें।