नई दिल्ली: दो सितंबर को ऑल इंडिया स्ट्राइक करने के मुद्दे पर श्रमिक संगठनों के बीच-बीच तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई है। मजदूर विरोधियों नीतियों के खिलाफ इस हड़ताल को लेकर संगठन आमने-सामने हैं।
दो सितंबर को मजदूर संगठनों ने जिस देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है, भारतीय मजदूर संघ उसके खिलाफ खड़ा हो गया है। गुरुवार को संघ ने इसे बंगाल और केरल चुनावों से पहले की राजनीतिक स्ट्राइक करार दिया।
बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस के हाथ मिलाने से स्थिति बदली
भारतीय मजदूर संघ के ऑल इंडिया डिप्टी ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी, सुरेन्द्रन ने एनडीटीवी से कहा, "सेन्ट्रल ट्रेड यूनियंस ने 2 सितंबर को जो ऑल इंडिया स्ट्राइक का कॉल दिया है उसके पीछे वजह राजनीतिक है। बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है। इसका असर इस फैसले में साफ दिख रहा है। हम उनके साथ स्ट्राइक में भाग नहीं लेंगे।"
पिछले साल भी हड़ताल को राजनीति से प्रेरित बताया था
उधर सीटू ने भारतीय मजदूर संघ पर पलटवार करने में देरी नहीं की। सीपीएम-समर्थित सीटू के महासचिव तपन सेन ने एनडीटीवी से कहा, "पिछले साल 2 सितंबर को भी भारतीय मजदूर संघ ने हमारी स्ट्राइक को राजनीति से प्रेरित बताया था। अब फिर से वे वही बात कर रहे हैं। हम उनकी मजबूरी और मुश्किल अच्छी तरह से समझते हैं।"
सीटू के साथ बाकी सारे मजदूर संगठन हैं। उनका कहना है, सरकार न्यूनतम आय 18000 रुपये करे, बोनस की सीलिंग हटाए, श्रम कानूनों को उद्योगपतियों के हित में न बदले। विनिवेश और निजीकरण से उनकी नौकरियां असुरक्षित हुई हैं। उनकी 12 मांगें हैं जिन्हें सरकार टालती जा रही है। मजदूर संगठनों का दावा है कि कम से कम 10 करोड़ लोग इस हड़ताल में हिस्सा लेंगे।