दहेज मौत के मामले में आरोपी के खिलाफ क्रूरता के सबूत जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

दहेज मौत के मामले में आरोपी के खिलाफ क्रूरता के सबूत जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

खास बातें

  • सबूतों से ही आरोपी की भूमिका सवालों के घेरे में आएगी
  • अधिनियम के तहत धारणा की आड़ में दोषी नहीं ठहराया जा सकता
  • विवाह के सात साल के भीतर घटना होने, क्रूरता के सबूत पर प्रथम दृष्टया दोषी
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि दहेज मौत के मामले में आरोपी की भूमिका तभी सवालों के घेरे में आएगी जब ऐसे सबूत हों कि मृतक महिला को दहेज की मांग के लिए प्रताड़ित किया गया था.

साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत दहेज हत्या के मामलों में दोषी ठहराने के लिए कुछ प्रावधान हैं जिनके तहत अगर महिला की मौत विवाह के सात साल के भीतर होती है और क्रूरता के सबूत भी मौजूद हैं तो आरोपी को प्रथम दृष्टया दोषी माना जाएगा.

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और अमिताव रॉय की पीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर अभियोजन इस बात के स्पष्ट सबूत पेश नहीं कर पाता है कि दहेज हत्या मामले में आरोपी ने दहेज की मांग को लेकर महिला को प्रताड़ित किया था तो अधिनियम के तहत धारणा की आड़ लेकर व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

पीठ ने कहा, ‘‘दहेज हत्या के मामलों में धारणा (साक्ष्य अधिनियम के अनुच्छेद 113बी के तहत) को तभी स्वीकार किया जाएगा अगर इस बात के सबूत होंगे कि आरोपी ने मृतक महिला को दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित किया या उसके साथ क्रूरता की और वह भी इस हद तक कि उसकी परिणति मौत के रूप में हुई.’’ न्यायालय ने यह आदेश वर्ष 1996 में अपने ससुराल में फांसी से लटकी पाई गई एक महिला के ससुराल पक्ष के कुछ लोगों को बरी करते हुए दिया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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